आढ़तियों, किसानों का भाईचारा बिगाड़ने के लिए सरकार कर रही फसल की ऑनलाइन खरीद : सैलजा
कुमारी सैलजा ने जारी बयान में आरोप लगाया कि सरकार के ऐसे ही ‘जनविरोधी‘ फैसलों के कारण आढ़ती हड़ताल पर हैं

चंडीगढ़। हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी सैलजा ने आज आरोप लगाया कि प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) - जननायक जनता पार्टी सरकार आढ़तियों और किसानों के रिश्तों में दरार पैदा करने के लिए फसल की बिक्री खुली बोली से करने के बजाय ऑनलाइन करवा रही है।
कुमारी सैलजा ने आज यहां जारी बयान में आरोप लगाया कि सरकार के ऐसे ही ‘जनविरोधी‘ फैसलों के कारण आढ़ती हड़ताल पर हैं और जिसके कारण अपनी फसल बेचने की बाट जोह रहे किसानों के सामने बड़ा संकट आकर खड़ा हो गया है।
उन्होंने कहा कि महामारी के ऐसे वक्त में सरकार को चाहिए था कि प्रदेश के किसान और आढ़तियों को कुछ राहत देती, मगर हरियाणा सरकार लगातार ऐसे फैसले ले रही है कि लोगों को राहत मिलने के बजाय उनकी परेशानियां बढ़ रही हैं।
कांग्रेस नेता ने कहा कि सदियों से किसानों की फसल की खरीद व भुगतान आढ़तियों के माध्यम से होती आ रही है और फसल मंडियों में खुले भाव में खुली बोली से बिकती आ रही थी। उन्होंने कहा कि प्रदेश के किसानों और आढ़तियों के बीच हमेशा से ही मधुर संबंध रहे हैं और जब भी किसान वर्ग को पैसे से लेकर अन्य तरह की सहायता की जरूरत होती है तो आढती उन्हें हरसंभव मदद मुहैया कराता है। मगर सरकार आढ़ती व किसान के बीच इस भाईचारे को खराब करने के लिए अनाज की खरीद खुली बोली की बजाए ऑनलाइन कर रही है।
उन्होंने कहा कि फसल का भुगतान, और जो पुराना लेन-देन है उसकी लिखित में डिटेल मार्केट बोर्ड में जमा कराने का नया फरमान जारी करके आढ़तियों को नाजायज तंग करने का काम किया जा रहा है, जो कि सरासर गलत है।
कुमारी सैलजा ने कहा कि इसका सबसे ज्यादा असर किसान वर्ग पर ही पड़ रहा है और सरकार की लचर नीतियों के कारण आढ़तियों के साथ-साथ किसानों की मुसीबतें भी बढ़ गई हैं। सरकार की तरफ से पहले ही फसल खरीद में हो रही देरी के कारण किसानों के लिए भंडारण की समस्या खड़ी हो गई है, मौसम बार-बार बदल रहा है, उनकी फसल खुले में पड़ी है। जिन किसानों ने ऋण लिया हुआ है, उन्हें फसल का भुगतान देरी से मिलने के कारण नुकसान उठाना पड़ रहा है। किसानों की अगली बुवाई भी प्रभावित हो रही है। सरकार उन किसानों की ही फसल खरीद रही है जिन किसानों ने अपनी फसल का रजिस्ट्रेशन कराया हुआ है। किसानों के लिए एक बार में फसल खरीद की लिमिट भी सरकार की तरफ से तय कर दी गई है।
उन्होंने कहा कि सरकारी नीतियों के कारण ही पहले दिन सिर्फ लगभग लाख टन गेहूं की ही खरीद हुई, जबकि 80 लाख टन गेहूं रजिस्टर्ड है। उन्होंने कहा कि इस रफ्तार से खरीद होने में तो कई महीने लग जाएंगे।
कुमारी सैलजा ने यह भी कहा कि सरसों की बात करें तो प्रदेश में कुल 13.5 लाख टन रजिस्टर्ड सरसों में से अभी तक 6 दिनों में 47,260 किसानों की सिर्फ सवा लाख टन टन सरसों ही बिकी है।
कुमारी सैलजा ने कहा कि वह आग्रह करती हैं कि सरकार किसानों और आढ़तियों के संबंधों को साजिशन ना बिगाड़े और फसल खरीद व भुगतान पहले की ही तरह करने के साथ 48 घंटों के अंदर-अंदर करे ताकि इस संकट की घड़ी में किसान व आढ़तियों को कुछ राहत मिल सके।


