राज्यपाल पत्रकारों से रुबरु हुए
भूमकाल दिवस के 111 वीं वर्षगांठ पर पहुंचे छत्तीसगढ़ के राज्यपाल अनुसुइया उइके ने सर्किट हाउस में आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान उन्होंने कहा कि पांचवी अनुसूची क्षेत्र का संरक्षक राज्यपाल होता है

जगदलपुर। भूमकाल दिवस के 111 वीं वर्षगांठ पर पहुंचे छत्तीसगढ़ के राज्यपाल अनुसुइया उइके ने गुरुवार को सर्किट हाउस में आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान उन्होंने कहा कि पांचवी अनुसूची क्षेत्र का संरक्षक राज्यपाल होता है और जब तक भी इस पद पर काबिज हैं तब तक आदिवासियों का अहित होने नहीं देंगी। उन्होंने कहा कि 1996 में अनुसूचित क्षेत्रों में पेसा कानून लागू किया गया है। इस कानून का क्रियान्वयन किस तरह से हो और वहां के आदिवासियों के विकास के लिए आवश्यक सभी चीजों का संरक्षण करते हुए उनकी परंपरा और संस्कृति के साथ ऐतिहासिक धरोहरों को संजोकर रखा जाएगा। जल जंगल जमीन की लड़ाई को लेकर 1910 में शहीद हुए गुंडाधुर की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि अंग्रेजों से देश की आजादी के लिए लड़ते हुए समाज की दशा और दिशा बदलने वाले क्रांतिकारी युवा गुंडाधुर के प्रति लोगों की श्रद्धा से अभिभूत हूं।
उन्होंने कहा कि केंद्र व राज्य सरकार के द्वारा जो भी कानून बनाए जाते हैं। उसे पांचवी अनुसूची क्षेत्र में राज्यपाल के अनुमोदन के बाद ही लागू किया जा सकता है ,लेकिन इसके लिए स्थानीय निवासियों को भी अपने अधिकारों के प्रति सजग होने की आवश्यकता है। क्षेत्र के वनधन और खनिज संपदा के उपयोग का अधिकार ग्राम सभा को दिया गया है।
ग्राम सभा के द्वारा सर्वसम्मति दिए गए निर्णय का आधार पर ही किसी भी योजना का क्रियान्वयन होगा। उन्होंने बताया कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों से मुलाकात कर के संबंध में जानकारी ली और उनके परिवार की पुनर्स्थापना को लेकर जिला प्रशासन के आला अधिकारियों से चर्चा की। उन्होंने कहा कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के परिवार को सारी मूलभूत सुविधाएं प्रदान की जानी चाहिए ताकि उन्हें देखकर अन्य नक्सली भी आत्मसमर्पण कर समाज के मुख्यधारा से जुड़े उन्होंने यह भी जानकारी दी कि दंतेवाड़ा जिले में एमडीएफ मद से आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के लिए मकान निर्माण कार्य भी चल रहा है।
उन्होंने नक्सलियों से मुख्य धारा से जुडऩे की अपील करते हुए कहा कि खून खराबा से किसी का लाभ नहीं होगा। उन्होंने अपना सुझाव देते हुए कहा कि क्षेत्र में चल रहे विकास कार्यों के माध्यम से स्थानीय लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने की योजना बनाई जाए और रोजगार उपलब्ध कराते हुए आम जनों के सहयोग से ही क्षेत्र को नक्सलवाद से मुक्त किया जा सकता है। क्षेत्रवासियों को वनोपज का पूरा लाभ भी क्षेत्रवासियों को मिले इस दिशा में भी शासन प्रशासन को कार्य करने की आवश्यकता है।
उन्होंने टाइफाइड के माध्यम से आदिवासियों के द्वारा निर्मित वस्तुओं को बाजार प्रदान करने की दिशा में किए जा रहे प्रयास की सराहना की। राज्यपाल ने दंतेवाड़ा और बीजापुर के कुछ क्षेत्रों को जहां पर ग्रामीणों को नदी पार कर 80 किलोमीटर की दूरी तय कर अपने कार्य के लिए आना जाना पड़ता है उन्हें दूसरे जिलों में शामिल करने की बात कही।
उन्होंने धर्मांतरण के विषय में कहा कि जबरदस्ती धर्मांतरण नहीं किया जा सकता लेकिन आदिवासियों को प्रलोभन देकर धर्मांतरण किया जाता है वह गलत है। इसी तरह आदिवासी बेटियों के साथ विवाह कर कुछ लोग जमीन की खरीदी बिक्री कर करोड़ों रुपए कमा रहे हैं ऐसे लोगों की सूची बनाकर मामलों की जांच की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि 170 ख के अनुसार आदिवासियों की जमीन पर जबरन कब्जा करने वालों के खिलाफ कार्यवाही की जानी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग बस्तर आ रहे हैं और यहां बस रहे हैं ऐसे लोगों की भी सूची बनाकर जांच की जानी चाहिए क्योंकि ऐसे लोग गांजा एवं अन्य मादक पदार्थ तस्करी में भी शामिल होते हैं।
बोधघाट परियोजना को लेकर हो रही विरोध प्रदर्शन के संबंध में उन्होंने कहा कि सन 1979 में बोधघाट परियोजना को हाइड्रोलिक विद्युत उत्पादन के उद्देश्य से बनाने का की परियोजना लाई गई थी जिस पर तत्कालीन सरकार ने रोक लगा दी थी, लेकिन वर्तमान छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा बस्तर में किसानों की भूमि सिंचित करने के उद्देश्य से फिर से इस परियोजना को शुरू किए जाने की कवायद हो रही है।
उन्होंने आंदोलनकारियों से कहा कि सच्चाई को समझें और कार्य करें अभी चिंता करने की जरूरत नहीं है। 2022 तक सर्वे का कार्य किया जाना है। इसके बाद प्राक्कलन तैयार किया जाएगा और उसे पर्यावरण तथा केंद्र सरकार की मंजूरी की भी जरूरत होगी। सर्वे के बाद ही पता चल पाएगा कि कितनी भूमि सिंचित होगी और इसका लाभ कितने किसानों को मिलेगा।
विस्थापित लोगों का पुनर्वास किस तरह से किया जाएगा। ग्रामसभा की मंजूरी भी ली जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि वे जब तक राज्यपाल हैं तब तक बस्तर के आदिवासियों का अहित होने नहीं देंगे लेकिन यदि उनके हित के लिए कोई कार्य होता है तो उसे स्वीकार करने का सुझाव भी देंगे। उन्होंने कहा कि जो निर्दोष ग्रामीण जेलों में बंद हैं। उनकी जांच के लिए रिटायर्ड जस्टिस के नेतृत्व में कमेटी गठित की है। कमेटी की जांच के बाद निर्दोष लोगों की रिहाई का कार्य होगा यह कानूनी प्रक्रिया है उसका पालन करते हुए इस कार्य को किया जाएगा।
राज्यपाल ने पांचवी अनुसूची क्षेत्र के ग्राम पंचायत को नगर पंचायत और नगर पालिका परिषद में बदलने की प्रक्रिया की जांच करने की बात कहते हुए बताया कि यह राज्यपाल के अनुमोदन के बगैर संभव नहीं है । बस्तर में उद्योग पतियों के लिए जमीन की व्यवस्था को लेकर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि यह जवाबदारी सरकार और प्रशासन की है ।
उन्होंने बस्तर और सरगुजा क्षेत्र के 50000 हेक्टेयर पर निवास कर रहे आदिवासियों की भूमि का निपटारा किया जाए क्योंकि अब तक यह भूमि फारेस्ट में है या नजूल में उसकी जानकारी उपलब्ध नहीं है। दो-दो स्टेट प्लेन के होते हुए यात्री विमान से जगदलपुर पहुंचने के सवाल पर उन्होंने कहा कि एक स्टेट प्लेन खराब पड़ा हुआ है और मुख्यमंत्री को भी पेंड्रा जाना था इसलिए यह कोई मुद्दा नहीं है।
जरूरत पडऩे पर सडक़ मार्ग से भी यात्रा करने की बात उन्होंने कही। इस अवसर पर अनुसूचित जनजाति आयोग के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष नंद कुमार साय, पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम, पूर्व मंत्री केदार कश्यप, सुश्री लता उसेण्डी, पूर्व सांसद दिनेश कश्यप, कमिश्नर जीआर चुरेन्द्र, पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी., कलेक्टर रजत बंसल, पुलिस अधीक्षक दीपक झा सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण उपस्थित थे।


