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राज्यपाल ने तमिलनाडु संकट में दखल देने से इनकार किया

तमिलनाडु के राज्यपाल सी. विद्यासागर राव व केंद्र सरकार ने एआईएडीएमके के संकट में दखल देने व मुख्यमंत्री के.पलनीस्वामी को राज्य विधानसभा में बहुमत साबित करने का करने का निर्देश देने से इनकार कर दिया है

राज्यपाल ने तमिलनाडु संकट में दखल देने से इनकार किया
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चेन्नई/नई दिल्ली। तमिलनाडु के राज्यपाल सी. विद्यासागर राव व केंद्र सरकार ने ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) के संकट में दखल देने व मुख्यमंत्री के.पलनीस्वामी को राज्य विधानसभा में बहुमत साबित करने का निर्देश देने से इनकार कर दिया है।

राज्यपाल ने अपनी स्थिति से तमिलनाडु के विपक्षी पार्टियों के प्रतिनिधिमंडल को अवगत कराया। यह विपक्षी प्रतिनिधिमंडल विदुथलाई सी. कांची (वीसीके) के नेतृत्व में राजभवन में राज्यपाल से मिला और एआईएडीएमके नेताओं का एक समूह दिल्ली में गृहमंत्री राजनाथ से मिला।

इस घटनाक्रम के बाद तमिलनाडु की डीएमके व दूसरी विपक्षी पार्टियों ने बुधवार को एआईएडीएमके सरकार को विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए कहने से इनकार करने पर राज्यपाल पर पक्षपात और अपनी जिम्मेदारी दूसरे पर मढ़ने का आरोप लगाया।

सबसे पहले वीसीके व माकपा सहित चार पार्टियों के प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से मुलाकात की और मांग की कि वह मुख्यमंत्री को विधानसभा में बहुमत साबित करने का निर्देश दें।

वीसीके के नेता थिरुमवलवन ने मीडिया से कहा कि राज्यपाल ने उनसे कहा है कि वह अभी स्थिति में दखल नहीं दे सकते क्योंकि गेंद उनके पाले में नहीं है। इसकी वजह है कि एआईएडीएमके के जिन 19 विधायकों ने मुख्यमंत्री में अविश्वास जाहिर किया, वे अभी भी पार्टी में हैं। राज्यपाल ने उनसे कहा, "अभी भी मामला एआईएडीएमके के पाले में है।"

थिरुमवलवन ने कहा, "हमने उनसे कहा कि गेंद उनके पाले में है। राज्यपाल ने कहा कि गेंद उनके पाले में नहीं आई है। यह केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा की स्थिति को दिखा रहा है जो कि एआईएडीएमके सरकार के गिरने के खिलाफ है।"

उन्होंने कहा, "हमने राज्यपाल को बताया कि 19 विधायकों द्वारा सरकार में अविश्वास जाहिर करने के बाद यह उनका लोकतांत्रिक कर्तव्य है कि वह सरकार को विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए कहें।"

इस बीच एआईएडीएमके के वरिष्ठ नेताओं का समूह गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मिला और राज्य के राजनीतिक हालात पर उनसे चर्चा की। इस समूह में लोकसभा के उपाध्यक्ष एम. थम्बिदुराई व तमिलनाडु के मंत्री डी.जयकुमार व थंगमणि शामिल थे।

माना जा रहा है कि राजनाथ सिंह ने उनसे कहा है कि मामला अभी एआईएडीएमके के आंतरिक मामलों के दायरे में है और राज्यपाल से इसका कोई लेना देना नहीं है। डीएमके व दूसरी विपक्षी पार्टियों को किसी भी उपाय के लिए विधानसभा अध्यक्ष से संपर्क करना चाहिए।

राज्यपाल की कथित टिप्पणी पर डीएमके नेता एम.के.स्टालिन ने आरोप लगाया कि एआईएडीएमके के दोनों गुटों के साथ आने के पीछे राज्यपाल राव ही हैं क्योंकि वह मोदी सरकार के इशारे पर काम कर रहे हैं। मोदी सरकार आयकर विभाग व प्रवर्तन निदेशालय जैसे एजेंसियों का इस्तेमाल एआईएडीएमके नेताओं को धमकी देने के लिए कर रही है।

स्टालिन ने कहा कि राज्यपाल राजनीति खेल रहे हैं।

स्टालिन ने कहा कि राज्यपाल को इस साल की शुरुआत में अपनी ही उस नजीर को अपनाना चाहिए जिसमें दस एआईएडीएमके विधायकों द्वारा ओ.पन्नीरसेल्वम सरकार से समर्थन वापस लेने पर सदन में बहुमत परीक्षण का उन्होंने आदेश दिया था।

स्टालिन ने कहा कि डीएमके, कांग्रेस, माकपा, व मुस्लिम लीग गुरुवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात करेंगी और तमिलनाडु में तुरंत विश्वास प्रस्ताव परीक्षण कराने की मांग करेंगी।

दिनाकरन ने खुद चेन्नई में संवाददाताओं से कहा कि वह अभी भी मानते हैं कि राज्यपाल 19 विधायकों के मुख्यमंत्री पर अविश्वास जताए जाने पर मुख्यमंत्री को हटाए जाने का एक अच्छा फैसला लेंगे। दिनाकरन ने कहा कि वह पलनीस्वामी को समय दे रहे हैं कि वह खुद से पद छोड़ दें।

भाजपा ने तमिलनाडु में राज्यपाल की भूमिका का जोरदार बचाव किया है। भाजपा ने कहा कि विपक्षी पार्टियां मुद्दे पर राजनीति करने की कोशिश में जुटी हुई हैं।


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