राज्यपाल प्रशासन ने किया केंद्र से अनुग्रह, अमरनाथ यात्रा समाप्ति से पहले न करें परिसीमन की दिशा में कोई कदम
राज्यपाल सत्यपााल मलिक की पहली अमरनाथ यात्रा पर शंका के बादल मंडरा रहे हैं क्योंकि राज्य में परिसीमन का काम जल्द शुरू किए जाने की चर्चाओं में प्रशासन को चिंता इस बात की

जम्मू। राज्यपाल सत्यपााल मलिक की पहली अमरनाथ यात्रा पर शंका के बादल मंडरा रहे हैं क्योंकि राज्य में परिसीमन का काम जल्द शुरू किए जाने की चर्चाओं में प्रशासन को चिंता इस बात की है कि पत्थरबाज और अलगाववादी अमरनाथ यात्रा के दौरान हालात को बिगाड़ सकते हैं। ऐसे में उन्होंने केंद्र से अनुग्रह किया है कि वे अमरनाथ यात्रा की समाप्ति से पहले कोई ऐसा कदम न उठाएं जिससे अमरनाथ यात्रा बाधित हो।
राज्य के लिए परिसीमन आयोग गठित किए जाने की चर्चाओं से शंका यह है कि इस मसले को सांप्रदायिक रंग देने के लिए अलगाववादी तथा पत्थरबाज सक्रिय हो सकते हैं। हालांकि राजभवन के सूत्रों ने यह उम्मीद जताई है कि पहली जुलाई से शुरू हो रही अमरनाथ यात्रा से पहले केंद्र सरकार इस तरह का कोई जोखिम नहीं उठाएगी जिससे घाटी में हिंसा भड़के।
साथ ही इससे अमरनाथ यात्रियों की सुरक्षा पर किसी प्रकार की आंच आए। हालांकि, सोशल मीडिया में यह वायरल हो रहा है कि परिसीमन के संबंध में गृह मंत्री ने कोई बैठक नहीं ली है। लेकिन परिसीमन के मुद्दे पर राज्य में सियासत गरमा गई है।
जम्मू आधारित दलों ने परिसीमन का काम जल्द से जल्द पूरा करने की मांग की है ताकि जम्मू को उसका हक मिल सके। यहां के नेताओं को विश्वास है कि जम्मू के हक में विधानसभा की कई सीटें आएंगी। भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियों ने विधानसभा चुनाव से पूर्व परिसीमन करवाने की मांग की है।
अमरनाथ यात्रा से जुड़े लोगों के अतिरिक्त अूरिज्म से अपनी रोजीरोटी वचलाने वालों के मुताबिक केंद्र के इस कदम से कश्मीर में हालात खराब हो सकते हैं। पीडीपी और नेकां समेत घाटी आधारित अन्य दल पहले ही परिसीमन पर विरोध जता चुके हैं।
यदि केंद्र सरकार ने परिसीमन की घोषणा की तो घाटी में विरोध प्रदर्शन का सिलसिला शुरू हो सकता है। पीडीपी और नेकां के साथ ही पीपुल्स कांफ्रेंस तथा शाह फैसल की जम्मू-कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट सड़क पर उतरकर केंद्र सरकार के फैसले का विरोध कर सकती है। इतना जरूर था कि परिसीमन पर कश्मीर के नेताओं के विरोध ने मुद्दे को कश्मीर और जम्मू का बना डाला है।


