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किसानों की दयनीय स्थिति के लिए पूर्ववर्ती सरकारें जिम्मेदार : राजनाथ

लोकसभा में उपनेता एवं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने किसानों की दयनीय स्थिति के लिए पूर्ववर्ती सरकारों को जिम्मेदार ठहराते हुए  कहा कि पिछले पाँच साल में देश में किसान-आत्महत्या के मामले कम हुए हैं

किसानों की दयनीय स्थिति के लिए पूर्ववर्ती सरकारें जिम्मेदार : राजनाथ
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नई दिल्ली । लोकसभा में उपनेता एवं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने किसानों की दयनीय स्थिति के लिए पूर्ववर्ती सरकारों को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि पिछले पाँच साल में देश में किसान-आत्महत्या के मामले कम हुए हैं।

दिलचस्प बात यह है कि कृषि एवं कृषक कल्याण राज्यमंत्री पुरुषोत्तम रुपाला ने नौ जुलाई को एक पूरक प्रश्न के उत्तर में सदन को बताया था कि वर्ष 2015 में किसान-आत्महत्या के मामले बढ़े थे जबकि उसके बाद के आँकड़े सरकार के पास उपलब्ध नहीं हैं।

कांग्रेस सदस्य राहुल गाँधी द्वारा आज सदन में केरल के किसानों का मुद्दा उठाये जाने पर रक्षा मंत्री ने अपने जवाब में कहा “जहाँ तक किसानों की स्थिति का प्रश्न है, साल-दो साल या चार-पाँच साल के अंदर ही किसानों की दयनीय स्थिति नहीं हुई है। लंबे समय तक जिन्होंने सरकार चलाई है इसके लिए वे लोग ही जिम्मेदार हैं।”

उन्होंने कहा कि जबसे मोदी सरकार सत्ता में आयी है, लगातार किसानों की आमदनी को दो गुणा करने के लिए प्रयत्न किये जा रहे हैं। जितना न्यूनतम समर्थन मूल्य इस सरकार ने पाँच वर्षों में बढ़ाने का काम किया है, उतना 60 साल के इतिहास में किसी भी सरकार ने नहीं बढ़ाया है। किसान सम्मान निधि योजना के तहत हर किसान को छह हजार रुपये प्रति वर्ष की राशि देने का निर्णय इस सरकार ने लागू किया जिससे उनकी आमदनी 20 से 25 प्रतिशत बढ़ी है।
किसान आत्महत्या के मामले पर श्री सिंह ने कहा, “सबसे ज्यादा आत्महत्या यदि किसानों ने की है तो इससे पहले (की सरकारों के कार्यकाल) की है। मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि पाँच साल में किसान-आत्महत्या के मामले कम हुए हैं।”

इससे पहले श्री गाँधी ने शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि बुधवार को उनके संसदीय क्षेत्र वायनाड़ के एक किसान ने कर्ज के दबाव में आत्महत्या कर ली। अकेले वायनाड़ में बैंकों ने लगभग आठ हजार किसानों को ऋण वसूली का नोटिस दिया है। सरफेसी कानून के तहत बैंक उनकी संपत्ति जब्त कर रहे हैं। उन पर बेघर होने का खतरा मंडराने लगा है।
कांग्रेस सदस्य ने कहा कि बैंकों द्वारा डेढ़ साल पहले वसूली प्रक्रिया शुरू की गयी थी और तब से केरल में 18 किसान आत्महत्या कर चुके हैं। केरल सरकार ने 31 दिसंबर तक ऋण वसूली पर रोक का प्रस्ताव किया है, लेकिन केंद्र सरकार रिजर्व बैंक को इसे लागू करने का निर्देश देने से इनकार कर रही है।

उन्होंने केंद्र सरकार पर किसानों के साथ भेदभावपूर्ण बर्ताव करने का आरोप लगाते हुए कहा, “पिछले पाँच साल में भाजपा सरकार ने धनाढ्यों को 4.3 लाख करोड़ रुपये की कर छूट दी है और उनके 5.5 लाख करोड़ रुपये बट्टेखाते में डाल दिये हैं। यह दो तरह का व्यवहार क्यों? सरकार ऐसा क्यों दिखा रही है जैसे किसानों हीन हों।”

गाँधी ने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि वह केरल सरकार के ऋण वसूली पर रोक के प्रस्ताव को स्वीकार करने के लिए रिजर्व बैंक को निर्देश दे ताकि किसानों को भयमुक्त किया जा सके।


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