क्रांति सरकारें नहीं करतीं बल्कि जनता करती है: स्वरूपानंद
शंकराचार्य स्वरुपानंद सरस्वती ने केन्द्र सरकार के नोटबंदी और जीएसटी लागू करके देश में क्रांति लाने के दावे पर कहा कि क्रांति सरकारें नहीं करतीं, बल्कि जनता क्रांति करती है।

छिंदवाड़ा। शंकराचार्य स्वरुपानंद सरस्वती ने केन्द्र सरकार के नोटबंदी और वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) लागू करके देश में क्रांति लाने के दावे पर कहा कि क्रांति सरकारें नहीं करतीं, बल्कि जनता क्रांति करती है।
शंकराचार्य ने कल यहां एक धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि शंकराचार्य का पद कोई लाभ का पद नहीं होता है। सनातन धर्म में ज्ञान प्राप्त करके विद्वता प्राप्त करने वाला व्यक्ति ही संत महात्माओं से प्रशिक्षित होकर शंकराचार्य के पद पर आसीन होता है।
शंकराचार्य ने बलात्कार की बढती घटनाओं पर चिंता जाहिर करते हुए कहां कि कानून से इनको रोका नही जा सकता है। अपराधी कोई न कोई रास्ता इनसे बच निकलने का निकाल ही लेगा।
उन्होंने कहा कि अपराधों को रोकने का सही उपाय यह है कि धर्म की शिक्षा दीक्षा देकर ही लोगो को अपराध से दूर रहने का वातावरण बनाया जा सकता है। पर सरकार की मजबूरी यह है कि वह सनातन धर्म की शिक्षा देगी तो लोगो कहेंगे कि दूसरे धर्म की बात भी पढाओं।
शंकराचार्य ने आगे कहां कि मनु स्मृति को लोग गलत कहते है, पर मनुस्मृति ने ही बताया है कि धर्म के क्या लक्षण होते है। धैर्य, क्षमा ,दमन ,अक्रोध, अस्तेय, सत्य ,अशौच व ज्ञान धर्म के लक्षण है।
द्वारका पीठ के शंकराचार्य के रुप में पुनः आरूढ़ होने के बाद पहली बार शंकराचार्य स्वरुपानंद सरस्वती छिंदवाड़ा पधारे, जहाँ नगर में उनकी शोभायात्रा निकाली गई, जिसमें भारी संख्या में महिला और पुरुष सम्मिलित हुए।


