धान-गेहूं की खरीद बंद करना चाहती है सरकार: कांग्रेस
कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर किसानों के साथ वादाखिलाफी करने का आरोप लगाते हुए आज कहा कि मौजूदा सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर धान और गेंहू की खरीदारी बंद करना चाहती

नयी दिल्ली। कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर किसानों के साथ वादाखिलाफी करने का आरोप लगाते हुए आज कहा कि मौजूदा सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर धान और गेंहू की खरीदारी बंद करना चाहती है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने यहां पार्टी मुख्यालय में नियमित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्र की मोदी सरकार किसानाें के साथ किये गये वादे पूरे नहीं कर रही है और उन्हें धोखा दिया जा रहा है।
उन्होंने सरकार की अक्टूबर 2019 में जारी एक रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए आरोप लगाया कि सरकार एमएसपी पर गेंहू और धान की खरीदारी बंद करना चाहती है। उन्होंने कहा कि भाजपा ने वर्ष 2014 के चुनाव में किसानों को लागत पर 50 प्रतिशत मुनाफे का वादा किया था लेकिन किसानों को उनके हालात पर छोड़ दिया गया है और उन्हें ‘जुमलों’ से बहकाने की कोशिश की जा रही है।
चव्हाण ने कहा कि किसानों को वर्ष 2022 तक दोगुनी आय का झुनझुना दिखाकर सत्ता हथियाने वाली भाजपा सरकार अब किसान का एमएसपी ही खत्म कर उसे बाजारी ताकतों के रहमोकरम पर छोड़ने का घिनौना षडयंत्र कर रही है। कृषि लागत एवं मूल्य आयोग ने भी वर्ष 2020-21 की रबी सीज़न रिपोर्ट में गेहूँ और धान की सरकारी खरीद में कटौती और किसी भी प्रकार का बोनस बंद करने की सिफारिश की है। अक्टूबर 2019 में जारी की गई इस रिपोर्ट में कहा गया है कि खरीद नीति की समीक्षा की जानी चाहिए।
चव्हाण ने कहा कि आगामी आम बजट में किसानों के उत्पाद तथा उत्पादन पर वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) दर कम की जानी चाहिए और ट्रैक्टर, कृषि उपकरणों, कीटनाशकों पर जीएसटी समाप्त होना चाहिए। इसके अलावा डीजल-पेट्रोल को जीएसटी के अंतर्गत लाया जाए। उन्होंने कहा कि गांवों में उपभोग घटता जा रहा है और किसान बदहाल है, ऐसे में देश में न्यूनतम आय योजना तथा वर्ष 2008 की तर्ज पर राष्ट्रीय ऋण माफी योजना की जरूरत है। केन्द्र सरकार को मनरेगा का आवंटन बढ़ाना चाहिए।
कांग्रेस नेता ने कहा कि फसल बीमा योजना किसान के लिए धोखा साबित हो रही है और भाजपा सरकार बीमा कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए किसानों को लूट रही है। वर्ष 2019-20 में खरीफ सीजन में 31 दिसंबर तक फसलों के नुकसान के लिए केवल 153 करोड़ रुपये मुआवजा दिया गया, जबकि बीमा प्रीमियम के रूप में कंपनियों को 25,853 करोड़ रुपये मिले। उन्होंने कहा कि फसल बीमा योजना में किसानों के हित में तुरंत सुधार किया जाए और वर्तमान घोटालों की उच्च स्तरीय जांच की जाए।


