सरकारी वाहन चालकों की पीएम मोदी से गुहार, सरकारी विभागों में हो रहा वाहन दुरूपयोग हो बंद
प्रधानमंत्री के द्वार आज वे पहुंचे जिनके बिना अधिकारी, नेता, मंत्री आगे नहीं बढ़ सकते

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री के द्वार आज वे पहुंचे जिनके बिना अधिकारी, नेता, मंत्री आगे नहीं बढ़ सकते। जी हां, ऑल इण्डिया गर्वमेन्ट ड्राईवर्स फैडरेशन के पदाधिकारियों ने आज भारत के समस्त सरकारी, राजकीय वाहन चालकों ने अपनी लम्बित मांगो के समर्थन में शांति मार्च निकालकर प्रधानमंत्री कार्यालय जाकर गुहार लगाई। यह चालक मांग कर रहे हैं कि सभी चालकों को एक काम एक समान वेतनमान दिए जाएं, वेतनमान की विषमताएं दूर की जाएं। स्टाफ कार चालक पदोन्नति स्कीम से अनुपात हटाकर पदोन्नति समयानुसार दी जाए।
इनकी मांग है स्टाफकार चालक की पदोन्नति से ट्रेड टेस्ट को हटाया जाए, भत्ते,वेतनमान बढ़ोतरी के अनुसार बढ़ोतरी की जाए और वाहन चालकों को मिलने वाले ओवरटाईम को पुन: शुरू किया जाये। सरकारी गाड़ियों का बीमा करवाया जाए, वाहन चालकों को सड़क जोखिम भत्ता दिया जाये, सरकारी गाड़ी की सफाई करने का भत्ता चालक को दिया जाए, चालक पद के कर्मचारियो को अन्य पदों पर पदोन्नति देने हेतु भर्ती नियमों में संशोधन किया जाए, रिक्त पद भरें, अस्थाई वाहन चालक जो अनुबंध आधार पर सरकारी वाहन चला रहे हैं उन्हें नियमित करें। चालक की मृत्यू होने पर उसके आश्रित को अनुकम्पा के आधार पर तुंरत नौकरी दी जाए व सरकारी वाहनों का दुरूपयोग बंद किया जाए।
चालकों ने मांग की है कि निजी गाड़ियों को टैक्सी के रूप में चलाना बंद हो व चालकों के भर्ती नियम में भर्ती की आयु सीमा बढ़ाई जाये क्योंकि वाण्जियिक चालक लाईसेंस बनाने की शुरूआती उम्र 20 वर्ष है उसके बाद तीन साल का अनुभव भी जरूरी है।
फैडरेशन के अध्यक्ष मिलन राज वंशी ने बताया कि भारत के राजकीय वाहन चालकों के साथ भारत सरकार अन्याय पूर्ण रवैया अपना रही है। हमारी मुख्य मांगो में एक काम एक वेतन के अनुसार 4200/-रूपये के ग्रेड-पे की मांग है।
महासचिव नरेन्द्र सिंह ने कहा कि सरकारी विभागों में वाहनों का दुरूपयोग होता है।


