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पेट्रोलियम उत्पादों पर करों को तत्काल वापस ले सरकार: कांग्रेस

ईंधन की बढ़ती कीमतों के बीच, कांग्रेस ने मंगलवार को पेट्रोलियम उत्पादों पर करों को तत्काल वापस लेने की मांग की

पेट्रोलियम उत्पादों पर करों को तत्काल वापस ले सरकार: कांग्रेस
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नई दिल्ली। ईंधन की बढ़ती कीमतों के बीच, कांग्रेस ने मंगलवार को पेट्रोलियम उत्पादों पर करों को तत्काल वापस लेने की मांग की, और आरोप लगाया कि पिछले छह वर्षो में सरकार ने करों के माध्यम से 20 लाख करोड़ रुपये से अधिक की कमाई की है, जबकि एक आम आदमी पीड़ित है। इसे 'मोदी टैक्स' करार देते हुए कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "हम पिछले 6.8 वर्षो में लगाए गए इस अतिरिक्त मोदी टैक्स को तत्काल वापस लेने की मांग करते हैं। यह अपने आप पेट्रोल की कीमत 61.92 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत 47.51 रुपये प्रति लीटर तक कम कर देगा। हर आम भारतीय इस की राहत का तुरंत हकदार है।"

उन्होंने कहा, "पिछले 6.8 वर्षो में सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर अतिरिक्त उत्पाद शुल्क लगाकर 20 लाख करोड़ रुपये से अधिक की कमाई की है। मई 2014 में अंतर्राष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमत 108 डॉलर प्रति बैरल थी और दिल्ली में पेट्रोल 71.51 रुपये प्रति लीटर पर और डीजल 57.28 रुपये प्रति लीटर बिक रहा था।"

उन्होंने कहा, "1 फरवरी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमत 54.41 डॉलर प्रति बैरल थी और फिर भी आज, दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 89.29 रुपये प्रति लीटर, जबकि डीजल की कीमत 79.70 रुपये प्रति लीटर है। पिछले छह वर्षो में अतिरिक्त उत्पाद शुल्क के रूप में मोदी टैक्स को पेट्रोल व डीजल के लिए क्रमश: बढ़ाकर प्रति लीटर 23.78 रुपये और डीजल पर 28.37 रुपये कर दिया गया है। यह डीजल पर प्रति लीटर 820 प्रतिशत और पेट्रोल पर 258 प्रतिशत की वृद्धि है।"

खेड़ा ने कहा, "हम किसी भी क्षेत्र में सरकार के 20 लाख करोड़ रुपये खर्च करने का परिणाम नहीं देख रहे हैं, चाहे वह कृषि क्षेत्र हो, एमएसएमई हो, या सरकारी कर्मचारी या कोई अन्य क्षेत्र हो।"

उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा के इकोसिस्टम ने हमेशा लोगों को भावनात्मक रूप से अपने कब्जे में रखने की कोशिश की है।

खेड़ा ने कहा, "वे कौन सी भावनाएं हैं जिनके माध्यम से वे भारत को व्यस्त रखने की कोशिश करते हैं? क्रोध! घृणा! डर! उनकी रणनीति अनुमान लगाने योग्य है, इन भावनाओं को उत्पन्न करो और खलनायक बनाओ। इसके लिए, वे पौराणिक कथाओं से, इतिहास के अपने संस्करण से, वैश्विक आयोजनों से उधार लेंगे, जिसका हमारे साथ कुछ भी लेना-देना नहीं है। वे खलनायक बनाते रहेंगे, जिनके खिलाफ हमारी सामूहिक भावनाओं को निर्देशित किया जा सकता है।"


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