सरकार विधानमंडल और न्यायपालिका के बीच संविधान द्वारा निर्धारित लक्षमण रेखा को पार न करे
दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेन्द्र गुप्ता ने आज केजरीवाल सरकार से आग्रह के साथ सलाह दी है कि वे भारत के संविधान में निहित विधानमंडल और न्यायपालिका के बीच निर्धारित लक्षमण रेखा को पार न करें

नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेन्द्र गुप्ता ने आज अरविंद केजरीवाल सरकार से आग्रह के साथ सलाह दी है कि वे भारत के संविधान में निहित विधानमंडल और न्यायपालिका के बीच निर्धारित लक्षमण रेखा को पार न करें। उन्होंने कहा कि संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार दिल्ली विधानसभा को अपने अधिकार क्षेत्र में ही रहना चाहिए। उसे न्यायपालिका की बुद्धिमता और नीयत पर प्रश्न चिन्ह नहीं लगाना चाहिए। उन्होंने विधानसभा पैनल की समिति के अध्यक्ष से अनुरोध किया कि वे इस बात की समीक्षा करें कि क्या न्यायपालिका को यह कहना उचित है कि वे उसके अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप न करें।
नेता प्रतिपक्षने कहा कि ऐसा लगता है कि सरकार न्यायपालिका के प्रति तिरस्कार की भावना प्रदर्शित कर रही है। उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष से अनुरोध किया कि वे अपने उस बयान पर पुर्नविचार करें, जिसमें उन्होंने कहा है कि उच्च न्यायालय विधानसभा के आदेशों को पटरी से उतार रहा है।
श्री गुप्ता ने विधानसभा अध्यक्ष के अधिकारों पर प्रश्न चिन्ह लगाया, जिसमें उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश को कहा है कि भविष्य में ऐसे कार्यों से दूर रहें, जिससे विधानमंडल और न्यायपालिका के बीच नाजुक संतुलन और सौहार्दपूर्ण रिश्ते को खतरा होता हो। विपक्ष के नेता ने उपराज्यपाल से अनुरोध किया कि वे इस बात की जांच करवाएं कि विधानसभा अध्यक्ष द्वारा दिल्ली उच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश को लिखा गया वह पत्र मीडिया में कैसे लीक हो गया, जिसमें उन्होंने यह कहा था कि न्यायालय ने विधानमंडल के विरूद्ध तथ्यों को बगैर सुनिश्चित किए आदेश पारित कर दिए थे।


