कारोबारी सुगमता के अगले चरण पर काम कर रही है सरकार
विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने और घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए सरकार कारोबारी सुगमता - ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के अगले चरण पर गंभीरता से काम कर रही है जिससे व्यापक स्तर पर रोजगार के अवसर सृजित हों

नयी दिल्ली। विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने और घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए सरकार कारोबारी सुगमता - ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के अगले चरण पर गंभीरता से काम कर रही है जिससे व्यापक स्तर पर रोजगार के अवसर सृजित होंगे।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने रविवार को यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ के ब्यौरे के पांचवें और अंतिम संवाददाता सम्मेलन में बताया कि सरकार कारोबारी सुगमता के अगले चरण की ओर गंभीरता से बढ़ रही है। इस चरण पर भू-संपदा का सरलता से पंजीकरण, व्यावसायिक विवादों का शीघ्रता से निपटारा और कर ढांचे को सरल बनाने पर जोर दिया जाएगा। इनके जरिए भारत को दुनिया में कारोबार के लिए सबसे आकर्षित स्थल बनाने का प्रयास किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि सरकार देश में कारोबार के अनुकूल माहौल बनाने के लिए प्रयास कर रही है। वैश्विक निवेशक देश की कारोबार माहौल की रिपोर्ट- डीबीआर को देखते हैं। सरकार के निरंतर प्रयासों से विश्व बैंक की डूइंग रिपोर्ट 2019 में भारत की स्थिति में सुधार हुआ है। वर्ष 2019 में भारत की स्थिति 142 से सुधरकर 63 पर पहुंच गयी है। सरकार के सुधारों में अनुमति और मंजूरी की प्रक्रिया को सरल करना, स्व प्रमामण और तीसरे पक्ष का प्रमाण पत्र हासिल करना शामिल है।
श्रीमती सीतारमण ने कहा कि कारोबारी सुगमता के लिए दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया के लिए न्यनूतम राशि एक करोड़ रुपए कर दी गयी है। पहले यह राशि एक लाख रुपए थी। इससे सूक्ष्म, लघु एवं मझौले उद्योगों को लाभ मिलेगा। इससे संबंधित अधिसूचना जल्दी जारी की जाएगी। कोरोना महामारी को देखते हुए दिवालिया घोषित करने की नयी प्रक्रिया एक वर्ष के लिए निलंबित कर दी गयी है। कोविड -19 से संबंधित ऋण नहीं चुकाने पर संबंधित उद्यम को ‘डिफॉल्टर’ नहीं माना जाएगा।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए नयी सार्वजनिक उपक्रम नीति लायी जाएगी। इसमें सभी क्षेत्र निजी क्षेत्र के लिए खोल दिये जाएगें और सार्वजनिक उपक्रम अधिसूचित क्षेत्र में काम करेंगे। सार्वजनिक उपक्रमों की जरुरी मौजूदगी वाले रणनीतिक क्षेत्रों को सरकार अधिसूचित करेगी। रणनीतिक क्षेत्रों में कम से कम एक सार्वजनिक उपक्रम रहेगा लेकिन इसे भी निजी क्षेत्र के लिए खोल दिया जाएगा। अन्य क्षेत्रों के सार्वजनिक उपक्रमों का समय के साथ निजीकरण किया जाएगा। प्रशासनिक क्षेत्र की लागत घटाने के लिए किसी भी रणनीतिक क्षेत्र में सार्वजनिक उपक्रमों की संख्या अधिक चार होगी। अन्य सार्वजनिक उपक्रमों का या तो निजीकरण होगा या उनका विलय किया जाएगा या उनमें विनिवेश होगा।


