सरकार द्वारा लोकायुक्त संशोधन विधेयक बिना चर्चा पारित करना दुर्भाग्यपूर्ण: पायलट
राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट ने विधानसभा में लोकायुक्त-उप लोकायुक्त संशोधन विधेयक को बिना नेता प्रतिपक्ष की राय लिए तथा सदन में चर्चा किए बिना पारित किए जाने को सत्ता पक्ष की ह

जयपुर। राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट ने विधानसभा में लोकायुक्त-उप लोकायुक्त संशोधन विधेयक को बिना नेता प्रतिपक्ष की राय लिए तथा सदन में चर्चा किए बिना पारित किए जाने को सत्ता पक्ष की हठधर्मिता बताया है।
पायलट ने आज यहां एक बयान में कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि राज्य सरकार नियमों के विपरीत जाकर लोकायुक्त के कार्यकाल को बढ़ाने के लिए अध्यादेश लेकर आयी थी जिसे न्यायपालिका में चुनौती दी गई और अब विधानसभा में विधेयक पास कर बिना नेता प्रतिपक्ष तथा मुख्य न्यायाधीश की सहमति लिए विधेयक में लोकायुक्त का कार्यकाल पाँच वर्षों की जगह आठ वर्ष कर दिया गया है और यह प्रावधान भी रखा गया है कि उक्त नियुक्ति को आगे भी बढ़ाया जा सकता है जब तक कि नई नियुक्ति ना हो, जिसका सीधा तात्पर्य यह है कि लोकायुक्त कार्यकाल की सीमा को भी समाप्त कर दिया गया है।
उन्होंने कहा कि सरकार का यह निर्णय नैतिक रूप से गलत है क्योंकि लोकायुक्त जांच के दायरे में राज्य सरकार के अधीन समस्त प्रशासन की कार्यप्रणाली रहती है ऐसे में मुख्यमंत्री की अभिशंषा पर लोकायुक्त के कार्यकाल को बढ़ाया जाना और उसमें उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की सहमति नहीं होना, सरासर गलत है।
उन्होंने कहा कि मुख्य न्यायाधीश की राय को निर्पेक्ष माना जाता है और उनकी सहमति के बिना लोकायुक्त कानून में संशोधन किया जाना पारदर्शिता के सिद्धान्त के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि आज भाजपा सरकार में भ्रष्टाचार हर विभाग में संस्थागत है इसलिए आवश्यक है कि लोकायुक्त के संवैधानिक पद की नियुक्ति अथवा कार्यकाल विस्तार नियमों के अनुसार हो ताकि निष्पक्ष जांच के मूल उद्देश्य जो लोकायुक्त नियुक्ति का आधार है, उसे हासिल किया जा सके।


