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नगर निकाय प्रमुखों के चुनाव को लेकर दुविधा में है सरकार

राजस्थान में नगर निकाय के प्रमुखों के चुनाव प्रक्रिया को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई

नगर निकाय प्रमुखों के चुनाव को लेकर दुविधा में है सरकार
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जयपुर। राजस्थान में नगर निकाय के प्रमुखों के चुनाव प्रक्रिया को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
राज्य में गहलोत सरकार प्रमुखों के चुनाव प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष कराने को लेकर असमंजस में हैं तथा नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल कीअध्यक्षता में गठित समिति की रिपोर्ट आने का इंतजार है। यह समिति कांग्रेस कार्यकर्ताओं से चुनाव प्रक्रिया के बारे में राय ले रही है।

अपने दूसरे कार्यकाल में मुख्यमंत्री गहलोत ने निकाय प्रमुखों के चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से कराये थे तथा जयपुर सहित सभी नगर निगमों में कांग्रेस के महापौर निर्वाचित हुए थे, जबकि नगर परिषद और पालिकाओ में कांग्रेस ने जोड़तोड़ कर ही प्रमुख बनवाये। यह माना जा रहा है कि इस बार भी अप्रत्यक्ष चुनाव कराये गये तो इससे भाजपा को फायदा मिलेगा।

सूत्रों ने बताया कि प्रत्यक्ष चुनाव से स्थानीय निकाय का प्रमुख अधिक अच्छा काम कर सकता है जबकि अप्रत्यक्ष चुनाव से बहुमत को लेकर गुटबाजी होती रहती है तथा प्रमुख सही तरह से काम नहीं कर पाता। चुनाव में भी पार्टी के घोषित उम्मीदवार को असंतुष्ट नेताओं द्वारा हराने के कई उदाहरण सामने आये हैं। अप्रत्यक्ष चुनाव में अधिकृत उम्मीदवारों को जिताने के लिये बाड़ेबंदी को भी प्रजातंत्र के लिये सही नहीं माना जाता। इसके बावजूद कांग्रेस के कुछ नेता प्रत्यक्ष चुनाव का विरोध कर रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि राज्य की 52 स्थानीय निकाय के चुनाव के लिये पार्षदों की आरक्षण की लॉटरी निकल चुकी है तथा प्रमुखों की चुनाव प्रक्रिया के बारे में राज्य सरकार के निर्णय के बाद ही प्रमुखों की लॉटरी निकल पायेगी। जयपुर सहित निकायों का 27 नवम्बर को कार्यकाल समाप्त हो रहा है।


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