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आयुष निर्यात की संभावना तलाश रही है सरकार

कोरोना महामारी और बदलती वैश्विक परिस्थिति में सरकार आयुष उत्पादों को अंतर्राष्ट्रीय बाजार में स्थापित करने की संभावना तलाश रही है जिसमें लंबे समय तक प्रतिस्पर्धा नहीं होगी।

आयुष निर्यात की संभावना तलाश रही है सरकार
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नयी दिल्ली। कोरोना महामारी और बदलती वैश्विक परिस्थिति में सरकार आयुष उत्पादों को अंतर्राष्ट्रीय बाजार में स्थापित करने की संभावना तलाश रही है जिसमें लंबे समय तक प्रतिस्पर्धा नहीं होगी।

आयुष उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्रालय, आयुष मंत्रालय और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय मिलकर एक कार्ययोजना तैयार कर रहे हैं जिस पर जोरों से काम चल रहा है। आयुष क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए कुछ दिनों पहले आयुष मंत्रालय एवं और सूक्ष्‍म, लघु एवं मध्‍यम उद्योग मंत्रालय के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए थे।

केन्द्रीय सूक्ष्‍म, लघु एवं मध्‍यम उद्योग मंत्री नितिन गडकरी ने इसकी जानकारी देते हुए कहा है कि एक ऐसा कार्यक्रम शुरू करने की जरूरत है जो कि भारतीय अर्थव्यवस्था को बल देने के उद्देश्य से आयुष क्षेत्र को मजबूती दे सके और अधिक उद्यमों और रोजगार का सृजन कर सके। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद का कच्चा माल आमतौर पर वन क्षेत्रों, ग्रामीण क्षेत्रों, आदिवासी क्षेत्रों, आकांक्षी जिलों में पाया जाता है, इसलिए इन इलाकों में रोजगार सृजन, उद्यमिता विकास और स्वरोजगार के लिए प्रसंस्करण इकाइयों एवं संकुलों की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि चूंकि भारतीय आयुर्वेद, योग, होम्योपैथी एवं सिद्ध पद्धति की अन्य देशों में बहुत मांग है, इसलिए उद्यमियों को इस अवसर का लाभ उठाकर वहां अपने स्वास्थ्य केंद्र एवं औषधिशाला खोलनी चाहिए और निर्यात पर बल देना चाहिए। उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर आयुर्वेदिक उपचार और योग की भारी मांग है और इसमें निरंतर इजाफा हो रहा है। उन्होंने कहा कि इस मांग को विशेष रूप से ख्याति प्राप्त विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में प्रशिक्षित मानव संसाधन को बढ़ाकर पूरा किया जा सकता है।

श्री गडकरी ने कहा कि भारत की आयुष पद्धतियों में भारत को आर्थिक महाशक्ति बनने की एक व्यापक क्षमता है क्योंकि सदियों से प्रचलित निदान एवं उपचार के वैकल्पिक तरीकों की लोकप्रियता निरंतर बढ़ती जा रही है। उन्होंने अधिक से अधिक अनुसंधान और नवाचार करने का आह्वान किया ताकि आयुष क्षेत्र को और आगे बढ़ाने में मदद मिले। उन्होंने जोर दिया कि भारतीय आयुर्वेद, होम्योपैथी, योग एवं सिद्ध पद्धतियों को बड़े पैमाने पर बढ़ावा दिया जाना जरुरी है।
प्रशिक्षित योग विशेषज्ञों और प्रशिक्षकों के कौशल विकास पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि इसके लिए प्रसिद्ध प्रशिक्षण संस्थानों के साथ मिलकर पाठ्यक्रम शुरू किए जा सकते हैं। आयुष से तात्पर्य दवाओं की आयुर्वेद, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध तथा होम्योपैथी प्रणाली से है। आयुष के प्रमुख संकुल अहमदाबाद, हुबली, त्रिशूर, सोलन, इंदौर, जयपुर, कानपुर, कन्नूर, करनाल, कोलकाता एवं नागपुर हैं।
आयुष क्षेत्र की प्रमुख विभिन्न चुनौतियों में असंगठित क्षेत्र, विनिर्माण संबंधी अच्छे उपकरणों का अभाव, गुणवत्ता प्रणाली, परीक्षण आदि, पारंपरिक विपणन पद्धति, निर्यात के लिए कम अवसर, प्रचार कार्यक्रमों और सहायता की कमी शामिल हैं।


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