सरकार की अनदेखी का शिकार दादरी
प्रदेश में राजस्व वसूली में अग्रणी भूमिका निभाने वाले दादरी क्षेत्र का इतिहास अपने आप में लगभग पांच सौ वर्ष की यादें समेटे हुए है

ग्रेटर नोएडा। प्रदेश में राजस्व वसूली में अग्रणी भूमिका निभाने वाले दादरी क्षेत्र का इतिहास अपने आप में लगभग पांच सौ वर्ष की यादें समेटे हुए है। कभी 360 गांवों की रियासत रही दादरी में आज के नोएडा एवं ग्रेटर नोएडा जैसे शहरों का भूभाग समाया हुआ था। इस भूभाग जिसको यमुना हिण्डन का खादर कहा जाता था इसमें पैदा अनाज आदि को दुर्गम रास्तों के जरिए ऊंटो पर लादकर दादरी अनाज मण्डी में लाया जाता था।
इस प्रकार दादरी अपने आप में इस क्षेत्र के लिए बड़ा व्यापारिक केंद्र था। दादरी रियासत का वैभवकाल विशेषकर अंग्रेजी काल में तब देखने को मिला जब इस रियासत की अपनी कचहरी जेल एवं दरबार हुआ करते थे। दादरी क्षेत्र का 1857 की क्रांति मे विशेष योगदान रहा है, इस दौरान राव उमराव सिंह सहित अनेकों क्रांतिकारियों को कालाआम बुलंदशहर में फांसी पर लटकाया गया था।
इसके चलते दादरी एक प्रकार से उजड़ चुकी थी। तब यह बुलंदशहर जिले में ही थी, आजादी के बाद दादरी में जब बहार देखने को मिली तब 14 नवम्बर 1976 को गाजियाबाद के प्रदेश का 55वां जिला बनाया गया, जिसमें नारायण दत्त तिवारी तत्कालीन मुख्यमंत्री, सांसद रामचन्द्र विकल का भारी योगदान रहा, उन्ही के प्रयासों के चलते इस जिले में दादरी को तहसील घोषित किया गया। तहसील मुख्यालय होने के कारण दादरी की आबादी तेजी बढ़ी जो आज करीब डेढ़ लाख हो चली है।
डॉ. आनन्द आर्य के मुताबिक 1997 में नवसृजित जनपद गौतमबुद्धनगर में भी दादरी को तहसील का दर्जा प्राप्त रहा है, लेकिन अफसोस जनक सत्य यह है कि राजनैतिक रूप से अपनी प्रमुख भूमिका निभाने वाला दादरी क्षेत्र आज नोएडा, ग्रेटर नोएडा के मुकाबले पिछड़ा साबित हो रहा है। इसके लिए शासन-प्रशासन की अनदेखी भी जिम्मेदार है।
नोएडा-ग्रेटर नोएडा के मुकाबले पिछड़ा साबित हो रहा है। इसके लिए शासन प्रशासन की अनदेखी भी जिम्मेदार है। नोएडा-ग्रेटर नोएडा जो भी कभी इस क्षेत्र के अंग थे, नई-नई उंचाइयों को छू रहे हैं, वहीं दादरी क्षेत्र अब लगातार विकास को लेकर पिछड़ता जा रहा है।
इसके बावजूद दादरी जनपद की एकमात्र नगर पालिका परिषद है, जहां जनपद का प्रमुख रेलवे स्टेशन भी है, लेकिन अफसोस जनक बात यहां यह है कि यहां एक्सप्रेस ट्रेन का ठहराव नहीं होता है, जिसके लिए किसी भी जनप्रतिनिधि द्वारा कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है।


