नहीं मिली सरकारी मदद तो खुद ही बना ली सड़क
राष्ट्रपति के गोद लिए हुए पंडो जनजाति के लोगो को उनके ग्राम पंचायतों से शासन-प्रशासन द्वारा सहयोग न मिलता देख, पंडो आदिवासियों ने खुद धरमजयगढ़ क्षेत्र के लगभग 7 गांवों में पहुंच मार्ग (सड़क) बनाई है।

पंडो आदिवासियों ने 7 गांव में बनाए पहुंच मार्ग
रायगढ़। राष्ट्रपति के गोद लिए हुए पंडो जनजाति के लोगो को उनके ग्राम पंचायतों से शासन-प्रशासन द्वारा सहयोग न मिलता देख, पंडो आदिवासियों ने खुद धरमजयगढ़ क्षेत्र के लगभग 7 गांवों में पहुंच मार्ग (सड़क) बनाई है।
पंडो जनजाति के ग्रामीणों ने सायापाली पंचायत के धरमपुर, सिसृंगा पंचायत के गतिनारा और देवसपुर, सोहनपुर पंचायत के टीपरानाराकेकरानारा के अलावा तीन अन्य गांव, रैरुमा पंचायत के अंतर्गत पंडोपारा ग्रामीण इलाकों में सड़के बनाई गई है। स्वतंत्र सामाजिक कार्यकर्ता भानु पटेल ने बताया कि पंडो जनजाति के आदिवासियों ने इन से सभी गांव में बिना शासन-प्रशासन के सहयोग के ये सभी सड़के बनाई है। कि ग्रामीण इलाकों में सरपंच और सचिव जिन्होंने इस ओर कभी शासन का ध्यान आकर्षित नही किया था उन्ही लोगो ने शुरू शुरू में सड़क निर्माण बनाने पर आपत्ति भी ली पर जनविरोध देखते हुए बाद में आपत्ति नही ली।
भानु पटेल ने बताया कि घुमन्तु प्रवृत्ति होने के कारण सरकार पंडो जनजाति को कोई भी सुविधा नही देती है। इन क्षेत्रों में पंडो जनजाति के आदिवासियों को मूलभूत सुविधाओं के अभाव में जीवन यापन करना पड़ता है। अबतक पंडो जनजाति के आदिवासियों का जाती प्रमाण पत्र भी नही बन पाया।
वनभूमि का पट्टा लेने धरना
छत्तीसगढ़ किसान सभा द्वारा 25 जनवरी को अपनी मांगो को लेकर स्थानीय अम्बेडकर प्रतिमा चक्रधर नगर में विभिन्न गांवों के सैकड़ों किसानों ने धरना प्रदर्शन किया। अपनी मांगो जिसमें मुख्यत: वनभूमि में काबिज आदिवासियों के पट्टे, फसल की लागत मूल्य का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य देने, कृषक मजदूरों को पांच हजार वृद्धा पेंशन देने, फसल बीमा को ऐच्छिक एवं पारदर्शी बनाए जाने तथा जंगली जानवरों से हुई फसलों एवं जान माल की क्षति का उचित मुआवजा दिया जाने संबंधी ज्ञापन संबंधित अधिकारी को सौंपा गया।


