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सरकार का आरोप स्वास्थ्य योजना में लगा रहे हैं अड़ंगा

दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल में एक बार फिर नया मोर्चा खुल गया है और इस बार स्वास्थ्य योजना पर सरकार व राजनिवास अमाने सामने है

सरकार का आरोप स्वास्थ्य योजना में लगा रहे हैं अड़ंगा
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नई दिल्ली। दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल में एक बार फिर नया मोर्चा खुल गया है और इस बार स्वास्थ्य योजना पर सरकार व राजनिवास अमाने सामने है। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने आज बताया कि दिल्लीवासियों को क्वालिटी हेल्थ केयर देने के लिए 12 दिसंबर को सभी टेस्ट फ्री व लंबी तारीख अथवा मशीन खराब होने पर किसी भी निजी केंद्र से जांच की योजना लागू करना चाहते हैं। लेकिन कैबिनेट से मंजूरी के बाद अब इस पर उपराज्यपाल ने आय सीमा तय करने की बात कही है।

उन्होंने बताया कि 30 दिन से ज्यादा सर्जरी की तारीख है तो प्राइवेट अस्पताल में सर्जरी हो सकती है। इस योजना को बजट में भी रखा गया था। राजनिवास ने कहा है कि जो महंगे टेस्ट हैं उन पर आय सीमा निर्धारित करनी चाहिए। श्री जैन ने कहा कि यदि आय सीमा लगाने से इसमें मुश्किलें खड़ी होंगी।

ये भेदभाव होगा और हमें यह ठीक नहीं लगता। उन्होने कहा कि इसी आधार पर चला जाए तो एम्स में तीन हजार रूपए लगते हैं और कई महीनों की वेटिंग है। क्या हम वही सिस्टम चाहते हैं कि लोग पैसे भी दें और वर्षों इंतज़ार करें, इस योजना के लिए पैसे की भी दिक्कत नही है। उन्होने कहा कि डोरस्टाप सर्विस के बाद ये दुसरा ऐसा मौका है कि सरकार के काम मे अडंगा डाला जा रहा है।

हालांकि इस मामले में उपराज्यपाल ने कहा कि स्पैसिफाइड हाई एंड डाइग्नोस्टिक टैस्ट, सर्जरी के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने के प्रस्ताव और लैबोरेट्री सर्विस मुफ्त में प्रदान करने के लिए डाइग्नोस्टिक सेवाओं की आउट सोर्सिंग मामले में सरकार की योजना, वित्त विभाग की सिफारिश पर उपराज्यपाल ने उपयुक्त आय के मानदंड को शामिल करने का सुझाव दिया है।

किसी भी सरकार के पास असीमित संशाधन नहीं है इसलिए यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि सरकारी संसाधनों का पहले गरीब और जरूरतमंद उपयोग करें। समाज के समृद्ध वर्गों को गरीबों से वंचित नहीं किया जा सकता। यह बात वास्तव में चकित करने वाली है कि चुनी हुई सरकार पॉश कालोनियों में रहने वाले अमीर लोगों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए राज्यों के संसाधनों का इस्तेमाल कर रही है। राजनिवास ने बयान जारी कर कहा कि उपराज्यपाल ने कभी भी मध्यम वर्ग को इस योजना का लाभ न उठाने की सलाह दी है।


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