सरकार आर्थिक नीतियों में विश्वसनीयता और पारदर्शिता लाए: मनमोहन
मनमोहन सिंह ने कहा मैं सरकार से आर्थिक नीतियों में निश्चितता बहाल करने का आग्रह करता हूं

नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी सरकार पर 2016 में नोटबंदी करने को लेकर निशाना साधते हुए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज केंद्र से उसकी आर्थिक नीतियों में विश्वसनीयता व पारदर्शिता बहाल करने का आग्रह किया।
पूर्व वित्त मंत्री ने वर्तमान राजग सरकार से आगे किसी प्रकार के अपरंपरागत, अल्पकालिक आर्थिक उपायों को स्वीकृति नहीं देने को भी कहा है, जो अर्थव्यवस्था और वित्तीय बाजारों में और अधिक अनिश्चितता का कारण बन सकता है।
नोटबंदी को असफल और दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए सिंह ने एक बयान में कहा, "मोदी सरकार द्वारा 2016 में बिना सोच-समझकर उठाए गए दुर्भाग्यपूर्ण कदम नोटबंदी के आज दो साल पूरे हो गए हैं। इस कदम से भारतीय अर्थव्यवस्था और समाज में जो विध्वंस हुआ, उसके सबूत आज सभी के सामने हैं।"
सिंह ने कहा, "नोटबंदी ने हर व्यक्ति पर प्रभाव डाला। इसमें हर उम्र, लिंग, धर्म, समुदाय और क्षेत्र के लोग शामिल थे।"
उन्होंने कहा, आज यह याद करने का दिन है कि कैसे एक आर्थिक विपदा ने लंबे समय के लिए राष्ट्र को प्रभावित किया और यह समझने की जरूरत है कि आर्थिक नीतियों को परिपक्वता व सोच विचार के साथ संभाला जाना चाहिए।"
उन्होंने यह भी कहा कि दो साल बाद भी अर्थव्यवस्था नोटबंदी के झटके से उबर नहीं सकी है।
मनमोहन ने कहा, "अक्सर कहा जाता है कि समय सबकुछ ठीक कर देता है। लेकिन दुर्भाग्यवश नोटबंदी के मामले में इसके जख्म और निशान वक्त से साथ और हरे होते जा रहे हैं।"
उन्होंने कहा, "देश के मझोले और छोटे कारोबार अब भी नोटबंदी की मार से उबर नहीं पाए हैं।"
उन्होंने यह भी कहा कि इस कदम ने रोजगार पर सीधा प्रभाव डाला क्योंकि अर्थव्यवस्था पहले से ही युवाओं के लिए नए रोजगार उपलब्ध कराने में संघर्ष कर रही थी।
मनमोहन ने कहा, "हमें अभी भी नोटबंदी के पूर्ण प्रभाव को समझना और उसका अनुभव करना है। रुपये के घटते मूल्य व बढ़ती तेल कीमतों के साथ व्यापक अर्थव्यवस्था अब विपरीत परिस्थितियां से जूझने वाली हैं।"
उन्होंने कहा, "इसलिए सावधानी बरतते हुए आगे कोई भी अपरंपरागत और अल्पकालिक उपाय नहीं किया जाना चाहिए, जो अर्थव्यवस्था और वित्तीय बाजारों में और अधिक अनिश्चितता का कारण बन सकती है।"


