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रमन के गोठ प्रकृति की किडनी हैं तालाब : रमन

रायपुर ! मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने तालाबों को प्रकृति की किडनी बताते हुए जलाशयों की सुरक्षा पर विशेष रूप से बल दिया है।

रमन के गोठ प्रकृति की किडनी हैं तालाब : रमन
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मुख्यमंत्री ने तालाबों को बचाने लोगों से किया सहयोग का आव्हान

रायपुर ! मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने तालाबों को प्रकृति की किडनी बताते हुए जलाशयों की सुरक्षा पर विशेष रूप से बल दिया है। उन्होंने इसमें ग्राम पंचायतों, नगरीय निकायों, सामाजिक संगठनों और सभी नागरिकों से सहयोग का आव्हान किया है। आकाशवाणी के रायपुर केन्द्र से आज प्रसारित अपनी मासिक रेडियो वार्ता ‘रमन के गोठ’ की 18वीं कड़ी में मुख्यमंत्री ने कहा - छत्तीसगढ़ में तालाबों की अपनी एक विशेष संस्कृति है। इसका ऐतिहासिक, धार्मिक और आर्थिक महत्व भी है जो स्थानीय आबादी की आस्था के साथ-साथ उसकी आजीविका से भी जुड़ता है। तालाबों की वजह से भू-जल स्तर बना रहता है। उन्होंने अपने रेडियो प्रसारण में छत्तीसगढ़ के विभिन्न क्षेत्रों में लोगों के जीवन में बदलाव लाने के लिए नागरिकों द्वारा किए जा रहे नये प्रयोगों (नवाचारों) की विस्तार से चर्चा की। गरियाबंद जिले के ग्राम रसेला (विकासखंड-छुरा) की महिलाओं द्वारा बड़ी-बड़ी कम्पनियों के मुकाबले में बनाए जा रहे सी.एफ.एल. बल्ब का भी मुख्यमंत्री ने आज की रेडियो वार्ता में उल्लेख किया और कहा कि जंगलों से घिरे इस अनजाने से गांव के महिला स्व-सहायता समूह की महिलाओं के इस कार्य को देखकर मैं खुद हैरत में पड़ गया। मुख्यमंत्री की मासिक रेडियो वार्ता की 18वीं कड़ी को भी विगत 17 कडिय़ों की तरह शहरों और गांवों में लोगों ने उत्साह के साथ सुना।

परीक्षा के मौसम में बच्चों को तनावमुक्त रहने की समझाइश

डॉ. सिंह ने छात्र-छात्राओं को तनावमुक्त रहने, परीक्षा का तनाव दूर करने के लिए पढ़ाई के बीच कुछ समय मिलने पर योग अभ्यास और हल्का फुल्का व्यायाम करने की समझाइश दी है। उन्होंने विद्यार्थियों को हिम्मत नही हारने की भी सलाह दी है। डॉ. सिंह ने बच्चों के माता-पिता और अभिभावकों का भी आव्हान किया है कि वे परीक्षा के दिनों में घर के वातावरण को शांत और सहयोगात्मक बनाकर बच्चों के साथ स्नेहपूर्ण व्यवहार करें।

इस दौरान घर में कोई ऐसा आयोजन नही किया जाए जिसकी वजह से बच्चों को अलग रहना पड़े या उनका ध्यान भटक जाए।

तालाबों को बचाने बना वेटलैण्ड प्राधिकरण जल्द बनेगी नीति
डॉ. सिंह ने कहा कि तालाबों के महत्व को देखते हुए राज्य सरकार ने वेटलैण्ड प्राधिकरण का गठन किया गया है और हम राज्य के वेटलैण्ड नीति बनाने जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने प्रदेश के प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक डॉ. डी.के. मरोठिया द्वारा तालाबों के संरक्षण और वेटलैण्ड के विकास के लिए किए जा रहे प्रयासों की भी प्रशंसा की। डॉ. रमन सिंह ने कहा- वेटलैण्ड का मतलब उस जमीन से है, जो तालाबों के विस्तार में लम्बे समय तक पानी में डुबी हुई हो। इस वजह से ऐसी जमीन की पहचान अलग से होती है।

मुख्यमंत्री ने डॉ. डी.के. मरोठिया और उनकी टीम का उल्लेख करते हुए कहा कि उनके द्वारा रतनपुर, दलपतसागर और कुटुम्बसर (बस्तर) की अद्भुत जलीय संरचनाओं को विश्व प्रसिद्ध ‘रामसर-साईट’ में जगह दिलाने की कोशिश की जा रही है, जो ऐतिहासिक महत्व के स्थानों को विश्व स्तरीय मान्यता दिलाती है।
रतनपुर के 160 तालाबों की प्रणाली दिला सकती है ‘लेकसिटी’ की अन्तरराष्ट्रीय मान्यता
मुख्यमंत्री ने कहा - रतनपुर में 160 तालाबों की प्रणाली है, जो उसे लेकसिटी के रूप में अन्तर्राष्ट्रीय मान्यता दिला सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि किसी एक स्थान पर ऐसी अद्भुत संरचना दुनिया में केवल दो स्थानों पर है, इनमें से एक चीन में है और दूसरा हमारे छत्तीसगढ़ के रतनपुर में है। मुख्यमंत्री ने डॉ. डी.के. मरोठिया और उनकी टीम के द्वारा रतनपुर, दलपतसागर और कुटुम्बसर (बस्तर) की अद्भुत जलीय संरचनाओं को विश्व प्रसिद्ध ‘रामसर-साईट’ में जगह दिलाने की कोशिश की जा रही है, जो ऐतिहासिक महत्व के स्थानों को विश्व स्तरीय मान्यता दिलाती है।मुख्यमंत्री ने ग्राम पंचायतों और शहरी निकायों केसाथ-साथ प्रदेश के सामाजिक संगठनों और प्रत्येक जागरूक नागरिक से अपील की है कि वे जहां कहीं भी हों, वहां जलाशयों को सुरक्षित रखने में योगदान करें। जलाशयों के गहरीकरण और सौंदर्यीकरण पर विशेष रूप से ध्यान दिया जाए। वहां सौर ऊर्जा से रौशनी की जाए। मुख्यमंत्री ने कहा - वैसे भी गर्मी का मौसम नजदीक है, जिससे हमें जलाशयों की आवश्यकता का ज्यादा एहसास होता है। हमें यह काम एक निश्चित कार्ययोजना बनाकर करना चाहिए, ताकि इसका फायदा किसी एक मौसम में नही, बल्कि साल भर मिल सके।


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