गोरखपुर उपचुनाव : कौन होगा भाजपा का उम्मीदवार?
गोरखपुर लोकसभा सीट का करीब 34 साल प्रतिनिधित्व “गोरक्षपीठ” में रहने के बाद अब लोग टकटकी लगाकर इन्तजार कर रहे हैं कि इस सीट के उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी का अगला उम्मीदवार कौन होता है

लखनऊ। गोरखपुर लोकसभा सीट का करीब 34 साल प्रतिनिधित्व “गोरक्षपीठ” में रहने के बाद अब लोग टकटकी लगाकर इन्तजार कर रहे हैं कि इस सीट के उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी का अगला उम्मीदवार कौन होता है।
लोगों के बीच चर्चा का विषय है कि क्या अगला उम्मीदवार भी ‘गोरक्षपीठ’ से ही होगा।
योगी आदित्यनाथ क्या ‘गोरक्षपीठ’ के अपने किसी शिष्य को उम्मीदवार घोषित करवायेंगे या कोई अन्य इस सीट का प्रतिनिधित्व करेगा।
गोरखपुर संसदीय सीट पर ‘गोरक्षपीठ’ मंदिर के आशीर्वाद के बगैर किसी उम्मीदवार के जीतने की उम्मीद न के बराबर रहती है।
शहर में इस मंदिर का प्रभाव इस कदर है कि अब तक लोकसभा के हुए 16 चुनाव में 10 बार सांसद मंदिर से ही रहा है।
यही नहीं गोरखपुर के आसपास की सीटों पर भी मंदिर का प्रभाव रहता है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस्तीफे से खाली हुई गोरखपुर सीट पर मंदिर से जीतने वाले पहले उम्मीदवार महंत दिग्विजय नाथ थे।
उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रुप में 1967 में विजय हासिल की थी। 1970 तक वह इस सीट से सांसद रहे। 1970 के चुनाव में उनके शिष्य महंत अवैद्यनाथ निर्दलीय उम्मीदवार के रुप में चुनाव जीते।
इसके बाद 1971, 1977, 1980, 1984, के चुनाव में यह सीट मंदिर के पास नहीं रही। इसके बाद से अब तक हुये सभी चुनाव में गोरक्षपीठाधीश्वर ही सांसद चुने जाते रहे।
1989 के चुनाव में हिन्दू महासभा के उम्मीदवार के रुप में महंत अवैद्यनाथ सांसद चुने गये थे। 1991 का चुनाव उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का प्रत्याशी बनकर जीता। 1996 में भी वह भाजपा उम्मीदवार के रुप में लोकसभा पहुंचने में कामयाब रहे।


