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लेव दाविदोविच लैंडो की जयंती पर गूगल ने समर्पित किया डूडल

गूगल ने आज सोवियत भोतिक विज्ञानी व नोबेल पुरस्कार विजेता लेव दाविदोविच लैंडो को उनकी जयंती पर डूडल समर्पित कर याद किया

लेव दाविदोविच लैंडो की जयंती पर गूगल ने समर्पित किया डूडल
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नई दिल्ली। गूगल ने आज सोवियत भोतिक विज्ञानी व नोबेल पुरस्कार विजेता लेव दाविदोविच लैंडो को उनकी जयंती पर डूडल समर्पित कर याद किया।

लैंडो को 1962 में अत्यंत कम तापमान पर तरल हीलियम के व्यवहार पर शोध के लिए भौतिकी में नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया था।

अजरबैजान के बाकू में 22 जनवरी 1908 को जन्मे लैंडो ने द्रव यांत्रिकी से लेकर क्वांटम फील्ड थ्योरी तक सैद्धांतिक भौतिकी की सभी शाखाओं में काम किया।

गूगल ने एक पोस्ट में कहा, "सहपाठियों द्वारा शर्मीेले और शांत स्वभाव के बताए जाने वाले लैंडो गणित और विज्ञान में काफी तेज थे।"

लौंडे ने लेनिनग्राद यूनिवर्सिटी के भौतिक विभाग में एडमिशन लिया। 'ऑन द थियरी ऑफ द स्पेक्ट्रा ऑफ डायटॉमिक मोलेक्यूल्स' नाम का उनका पहला प्रकाशन उस समय आया जब उनकी उम्र महज 18 साल थी।

21 मसाल की उम्र में पीएचडी कर लेने वाले लैंडो को रॉकफेलर फेलोशिप मिला और सोवियत वजीफा मिला, जिसकी बदौलत वह शोध संबंधी कार्यो के लिए ज्यूरिख, कैंब्रिज और कोपनहेगन जा सके।

गूगल ने कहा कि मॉस्को स्थित 'लैंडो इंस्टीट्यूट फॉर थियरेटिकल फिजिक्स' द्वारा उनकी विरासत को आगे बढ़ाया जा रहा है। यहां तक कि चंद्रमा के एक क्रेटर का नाम भी लैंडो के नाम पर रखा गया।

लैंडो को साल 1961 में मैक्स प्लैंक मेडल और फ्रिट्ज लंदन प्राइज से सम्मानित किया गया। एक अप्रैल 1968 को उनका निधन हो गया।


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