गोवा : टैक्सी चालकों की हड़ताल समाप्त
पर्यटक टैक्सी चालकों ने रविवार को अपनी हड़ताल समाप्त कर दी

पणजी। पर्यटक टैक्सी चालकों ने रविवार को अपनी हड़ताल समाप्त कर दी। टैक्सी चालकों ने सभी पर्यटक टैक्सियों को 24 जनवरी तक लंबित फिटनेस प्रमाण पत्र जारी करने व सरकार द्वारा उनके वाहनों में स्पीड गर्वनर्स लगाए जाने से रोकने को लेकर लिखित आश्वासन के बाद हड़ताल समाप्त करने का फैसला किया।
तीन दिवसीय हड़ताल से पर्यटकों व स्थानीय लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। टैक्सी चालक संघ के प्रतिनिधियों व मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर व विधानसभा उपाध्यक्ष माइकल लोबो के साथ हुई बैठक के तुरंत बाद हड़ताल समाप्त कर दी गई। यह बैठक मुख्यमंत्री के आधिकारिक निवास पर हुई।
उत्तरी गोवा पर्यटक टैक्सी संघ के प्रवक्ता लक्ष्मण कोरगांवकर ने संवाददाताओं से कहा, "हम सिर्फ लोबो द्वारा लिखित आश्वासन के बाद हड़ताल वापस ले रहे हैं। लोबो ने कहा है कि यदि टैक्सी चालकों को बिना स्पीड गवनर्स के 24 जनवरी तक फिटनेस प्रमाण पत्र नहीं दिया गया तो वह भाजपा से इस्तीफा दे देंगे। हमें अभी भी मुख्यमंत्री पर भरोसा नहीं है, लेकिन हम सरकार को एक अवसर दे रहे हैं।"
उन्होंने कहा कि परिवहन अधिकारियों व पुलिस के कथित उत्पीड़न व स्पीड गवर्नर्स अनिवार्य रूप से लगाए जाने के आदेश के खिलाफ टैक्सी चालकों ने शुक्रवार से हड़ताल शुरू की थी।
लोबो ने संवाददाताओं से कहा कि जहां तक स्पीड गवर्नर्स लगाए जाने की बात है, गोवा में टैक्सी चालकों के लिए राहत की मांग करते हुए राज्य सरकार सर्वोच्च न्यायालय में एक हस्तक्षेप याचिका दाखिल करेगी, जिसमें कहा जाएगा कि गोवा में तेज रफ्तार 'संभव' नहीं है, क्योंकि यह 'एक छोटा राज्य है व सड़कें संकरी हैं।'
सर्वोच्च न्यायालय ने बीते साल पर्यटक टैक्सियों में स्पीड गवर्नर्स लगाने का आदेश दिया था। अदालत ने यह आदेश दिल्ली के एक गैरसरकारी संगठन सुरक्षा फाउंडेशन की एक याचिका पर दिया था। राज्य परिवहन विभाग ने स्पीड गवर्नर्स लगाए बगैर टैक्सियों को फिटनेस प्रमाण पत्र देने से इनकार कर दिया था।
पर्रिकर ने संवाददाताओं से कहा कि राज्य सरकार का भी यही मत है कि पर्यटक टैक्सियों में स्पीड गवर्नर्स लगाना व्यावहारिक नहीं है और इस रुख को शीर्ष अदालत में प्रस्तुत किया जाएगा।
उन्होंने कहा, "सर्वोच्च न्यायालय में इस विचार को रखने को लेकर कोई मुद्दा नहीं है..हम खुद में नहीं मानते कि 80 किमी प्रति घंटे की रफ्तार सीमा रखने से जमीनी तौर पर कुछ बदलाव आएगा। यह वास्तव में 100 किमी होना चाहिए।"
उन्होंने कहा कि राज्य में टैक्सियों से जुड़ी दुर्घटना के कम मामले हैं।


