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आईआईटी गोवा कैंपस परियोजना पर गोवा के मंत्री का यू-टर्न

राणे ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो संदेश में कहा, "मैंने मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत को लिखा है कि मुझे अपने निर्वाचन क्षेत्र में आईआईटी नहीं चाहिए

आईआईटी गोवा कैंपस परियोजना पर गोवा के मंत्री का यू-टर्न
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पणजी। आईआईटी-गोवा कैंपस परियोजना पर यू-टर्न लेते हुए, राज्य के स्वास्थ्य मंत्री विश्वजीत राणे ने मंगलवार को मुख्यमंत्री से सार्वजनिक विरोध प्रदर्शनों के मद्देनजर, उत्तरी गोवा में अपने वालपोई विधानसभा क्षेत्र से परियोजना को वापस लेने का आग्रह किया। राणे, जिन्होंने पहले मेलाउलिम गांव में किसी भी कीमत पर भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-गोवा परिसर के निर्माण के लिए आगे बढ़ने पर जोर दिया था, उन्होंने अब इस परियोजना के खिलाफ लोगों की भावनाओं का हवाला देते हुए इस परियोजना को वापस लेने को कहा है।

राणे ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो संदेश में कहा, "मैंने मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत को लिखा है कि मुझे अपने निर्वाचन क्षेत्र में आईआईटी नहीं चाहिए। मैंने लोगों के हित में यह फैसला लिया है। लोगों की भावनाएं आईआईटी के खिलाफ हैं।"

मंत्री ने सावंत से हिंसक प्रदर्शन करने वाले प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दायर आपराधिक मामलों को वापस लेने का भी आग्रह किया।

इसके साथ ही उन्होंने पिछले बुधवार को इस परियोजना के खिलाफ विरोध करने वाली महिलाओं पर कथित हमले के लिए पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग भी की।

राणे ने कहा, "मैं मुख्यमंत्री से हाथ जोड़कर कहता हूं कि लोगों के खिलाफ दायर मामले वापस लिए जाएं।"

आगामी आईआईटी-गोवा परियोजना के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शन में भाग लेने वाले उत्तरी गोवा के मेलाउलिम गांव के 100 से अधिक ग्रामीणों के साथ ही विपक्षी दल के नेताओं के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। जिन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज हुआ है, उनमें से कई पर हत्या के प्रयास का भी आरोप है।

जब से 2014 में केंद्र सरकार द्वारा एक आईआईटी गोवा को आवंटित की गई थी, तभी से दक्षिणी गोवा के फामागुर्डी गांव स्थित गोवा इंजीनियरिंग कॉलेज के अस्थायी परिसर से ही इसका संचालन किया जा रहा है।

राज्य सरकार द्वारा आईआईटी के लिए एक स्थायी परिसर स्थापित करने के लिए इससे पहले पहचाने गए दो स्थलों कैनाकोना और संगुम उप जिलों में स्थानीय निवासियों का विरोध देखने को मिला है।

दरअसल, ग्रामीण इस परियोजना का विरोध कर रहे हैं, क्योंकि उनका कहना है कि इस परियोजना में उनकी कीमती जमीन छीन ली जाएगी।

मेलाउलिम के ग्रामीण जो ज्यादातर अनुसूचित जनजाति से संबंध रखते हैं, उनका दावा है कि आईआईटी परियोजना के लिए उनसे उनकी जमीन छीनी जा रही है।


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