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सद्गुरु के ईशा आउटरीच के साथ 'मिट्टी बचाओ' एमओयू पर हस्ताक्षर करेगी गोवा सरकार

गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने बुधवार को कहा कि राज्य की मिट्टी और तट को बचाने के लिए गोवा सरकार सद्गुरु जगदीश वासुदेव के 'ईशा आउटरीच' के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर करेगी

सद्गुरु के ईशा आउटरीच के साथ मिट्टी बचाओ एमओयू पर हस्ताक्षर करेगी गोवा सरकार
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पणजी। गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने बुधवार को कहा कि राज्य की मिट्टी और तट को बचाने के लिए गोवा सरकार सद्गुरु जगदीश वासुदेव के 'ईशा आउटरीच' के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर करेगी।

सावंत ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि सद्गुरु जगदीश वासुदेव द्वारा शुरू किए गए 'मिट्टी बचाओ' आंदोलन में युवाओं को भाग लेना चाहिए।

सावंत ने कहा, "हम 23 अगस्त को शाम 4 बजे डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी इंडोर स्टेडियम में ईशा आउटरीच के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने वाले हैं। यह समझौता ज्ञापन पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और ईशा आउटरीच के बीच होगा।"

उन्होंने कहा कि इस अवसर पर सद्गुरु जगदीश वासुदेव, केंद्रीय मंत्री श्रीपद नाइक, गोवा के पर्यावरण मंत्री नीलेश कैबराल और अन्य मंत्री मौजूद रहेंगे।

उन्होंने कहा, "विशेषज्ञता का आदान-प्रदान, हितधारकों का प्रशिक्षण, सशक्तिकरण और जन जागरूकता कार्यक्रम का आदर्श वाक्य है। हम कृषि उत्पादकता और खाद्य सुरक्षा के ²ष्टिकोण से स्थायी मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन पर जोर देंगे।"

उन्होंने यह भी कहा कि ईशा आउटरीच सरकार के साथ मृदा नीति साझा करेगी और मिट्टी और गोवा के तट को बचाने की कोशिश करेगी।

इससे पहले, गोवा के तटीय निर्वाचन क्षेत्रों के विधायकों ने समुद्री कटाव और पर्यटन पर इसके प्रभाव के बारे में शिकायत की थी।

सावंत ने कहा, "खाद्य सुरक्षा और टिकाऊ खाद्य प्रणाली, टिकाऊ खेती प्रणाली, खाद्य उत्पादक कृषि मिट्टी का क्षरण, प्राकृतिक और जैविक खेती के तरीकों और अन्य संबंधित क्षेत्रों को ईशा आउटरीच के साथ सहयोग किया जाएगा। यह समझौता ज्ञापन तीन साल के लिए होगा।"

उन्होंने किसानों, पर्यावरणविदों और गैर सरकारी संगठनों से इस कार्यक्रम में भाग लेने की अपील की।

सावंत ने 23 जून को आध्यात्मिक गुरु और ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु के 'मिट्टी बचाओ' जागरूकता अभियान के प्रयासों की प्रशंसा की थी।

सावंत ने कहा था, "उर्वरक के लगातार उपयोग के कारण मिट्टी अपनी उर्वरता खो चुकी है। इसलिए पानी के साथ-साथ मिट्टी को भी बचाने की जरूरत है। इस अभियान के साथ सद्गुरु ने जागरूकता फैलाने के लिए कई देशों का दौरा किया। हमें मिट्टी की रक्षा करने की जरूरत है।"


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