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गंगा नदी में जल यातायात को सुगम बनाने के लिए मिली जेटी की सौगात

पूर्वी यूपी के चार जिले बनारस, गाजीपुर, चंदौली और बलिया को बड़ी सौगात मिली है

गंगा नदी में जल यातायात को सुगम बनाने के लिए मिली जेटी की सौगात
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वाराणसी। पूर्वी यूपी के चार जिले बनारस, गाजीपुर, चंदौली और बलिया को बड़ी सौगात मिली है। मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल के साथ गंगा नदी में जल आधारित यातायात को सुगम बनाने के लिए रविदास घाट से सात सामुदायिक जेटी का उद्घाटन किया। इसमें वाराणसी में तीन, चंदौली में एक, गाजीपुर में एक और बलिया में सामुदायिक जेटी शामिल हैं।

भारतीय अंतरदेशीय जलमार्ग प्राधिकरण की ओर से रविदास घाट पर आयोजित समारोह में मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री ने आठ नयी बनने वाली जेटी का शिलान्यास भी किया। साथ ही उन्होंने वाराणसी एवं डिब्रूगढ़ के बीच जनवरी 2023 से चलने वाले अंतरा क्रूज के समय सारिणी का विमोचन किया। इसके अलावा हाइड्रोजन एवं इलेक्ट्रिक कैटामेरन के लिए अनुबंध पत्र का हस्तांतरण किया गया। इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि गंगा नदी में जल यातायात बढ़ने से ना सिर्फ किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी बल्कि युवाओं के लिए रोजगार के नये अवसर भी सृजित होंगे। साथ ही वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट को बड़े स्तर पर अंतरराष्ट्रीय बाजार मिलेगा, जिससे हस्तशिल्पी, किसान और कारीगरों की आमदनी बढ़ेगी।

मुख्यमंत्री ने जिन सामुदायिक जेटी का उद्घाटन किया उनमें वाराणसी में रविदास घाट, रामनगर और कैथी, चंदौली में बलुआ, गाजीपुर में कलेक्टर घाट, बलिया में उजियार घाट बरौली और शिवपुर शामिल हैं।

बता दें कि वाराणसी से लेकर कोलकाता के बीच कुल 60 जेटी बनाए जाने हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि दो साल पहले पीएम मोदी ने काशी को इनलैंड वाटरवे का उपहार दिया था। अब चार जनपदों में जेटी के माध्यम से जल यातायात को सुविधाजनक बनाया जा सकेगा। इससे प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को साकार करने में मदद मिलेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज वाराणसी, चंदौली, गाजीपुर और बलिया में आज सात जेटी का उद्घाटन किया गया है और आठ अन्य जेटी नये बनाये जाने हैं। ये आने वाले समय में काशी सहित पूरे पूर्वांचल, प्रयागराज, सोनभद्र और मिजार्पुर में पर्यटन की संभावना को आगे बढ़ाएंगे। साथ ही इनसे यातायात को सुगम बनाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि जल परिवहन से ट्रेन और सड़कों के लोड को कम करने के साथ ही प्रदूषण को भी नियंत्रित करने में मदद मिलेगी। आज काशी नगरी ऐसे ही अनेक लाभों का केंद्र बिंदु बनकर उभरी है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यूपी हमेशा इस बात के लिए परेशान होता था कि हमारा लैंडलॉक है। उत्तर प्रदेश चारों तरफ से जमीन से जुड़ा था, इसलिए हमारा उत्पाद जबतक बंदरगाहों तक पहुंचता था तबतक उसकी लागत ज्यादा हो जाती थी। इस कारण अन्तरराष्ट्रीय बाजार की प्रतिस्पर्धा में हमारे उत्पाद टिक नहीं पाते थे। उत्तर प्रदेश से चीनी, सब्जी, फल, मिर्च आदि एक्सपोर्ट करने में बहुत समस्या होती थी।

मुख्यमत्री ने बताया कि प्रधानमंत्री ने दो साल पहले जल परिवहन का पहला मार्ग वाराणसी से हल्दिया तक दिया। परिणाम ये रहा कि 2021-22 में ही हमने अकेले वाराणसी से 3700 करोड़ रुपए के ओडीओपी के सामानों को एक्सपोर्ट किया। इससे वाराणसी सहित भदोही, मिजापुर, सोनभद्र, गाजीपुर, चंदौली और प्रयागराज के ओडीओपी से जुड़े किसान, शिल्पकार और कारीगरों को काफी मदद मिली।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अंतरदेशीय जल परिवहन के क्षेत्र में अनंत संभावनाएं हैं। आज काशी विश्वनाथ धाम बनने से बनारस में पर्यटकों की संख्या में अप्रत्याशित तौर पर बढ़ोतरी हुई है। हम सबने देखा है कि सावन में एक करोड़ पर्यटक वाराणसी पहुंचे, इसके अलावा देव दीपावली पर भी बनारस के होटल, टैक्सी, रेस्टोरेंट से लेकर सामान्य व्यापरियों तक को लाभ हुआ है। इनलैंड वाटरवे प्रारंभ होने से वाराणसी के साथ ही विंध्यवासिनी धाम, प्रयागराज, सोनभद्र, चंदौली और मिर्जापुर में पर्यटकों के आने के लिए सुगम यातायात का नया मार्ग तैयार हो रहा है।

आज उत्तर प्रदेश 12 एक्सप्रेस हाईवे के साथ ही फोर लेन, सिक्स लेन सड़कों के जाल बुन रहा है। उत्तर प्रदेश के पास देश में सबसे अच्छी उर्वरा भूमि और जल संसांधन मौजूद है। इनका उपयोग करते हुए अन्नदाताओं के उत्पाद को आगे बढ़ाने में इनलैंड वाटरवे महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। साथ ही ओडीओपी को अन्तरराष्ट्रीय बाजार मिलेगा। जलमार्ग सुविधा को और विस्तार मिले इसके लिए केंद्र सरकार के साथ मिलकर राज्य सरकार पूरा सहयोग देने के लिए तैयार है। इससे युवाओं को रोजगार की ढेर सारी संभावनाओं को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी।


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