गुलाम नबी आजाद श्रीनगर एयरपोर्ट से वापस लौटाए गए
राज्यसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेसी सांसद गुलाम नबी आजाद को आज कश्मीर का दौरा नहीं करने दिया गया। उन्हें श्रीनगर एयरपोर्ट पर रोक लिया गया

जम्मू। राज्यसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेसी सांसद गुलाम नबी आजाद को आज कश्मीर का दौरा नहीं करने दिया गया। उन्हें श्रीनगर एयरपोर्ट पर रोक लिया गया और फिर उन्हें वापस दिल्ली उल्टे पांव भेज दिया गया। जब आजाद कश्मीर का हाल जानने कश्मीर का दौरा करने की कवायद में जुटे थे तो उनकी पार्टी के वरिष्ठ नेता और जम्मू कश्मीर के महाराजा हरि सिंह के बेटे डा कर्ण सिंह केंद्र के कदम का स्वागत करते हुए कसीदे पढ़ रहे थे।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद आज यानी गुरुवार को श्रीनगर पहुंचे। वह घाटी के मौजूदा हालात पर पार्टी कैडर से चर्चा करने के लिए यहां आए थे। इसमें अनुच्छेद 370 को हटाने, जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित बनाने सहित अन्य मुद्दों पर बात की जानी थी। मगर उन्हें एयरपोर्ट पर ही रोक लिया गया और बाद में उन्हें वापस दिल्ली भेज दिया गया। उनके साथ इस महत्वपूर्ण बैठक में पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष जीए मीर को भी शामिल होना था और उन्हें भी एयरपोर्ट पर रोक लिया गया।
इससे पहले राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आज़ाद ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के एक वीडियो को लेकर उन पर करारा हमला बोला। एनएसए अजीत डोभाल ने कल शोपियां में स्थानीय लोगों के साथ एक वीडियो बनाया था, जिसमें वो लोगों से बातचीत करते हुए देखे गए थे। इस वीडियो पर हमला बोलते हुए गुलाम नबी आज़ाद ने कहा था कि पैसे देकर आप किसी को भी साथ ले सकते हो।
जब आजाद कश्मीर का हाल जानने कश्मीर का दौरा करने की कवायद में जुटे थे तो उनकी पार्टी के वरिष्ठ नेता और जम्मू कश्मीर के महाराजा हरि सिंह के बेटे डा कर्ण सिंह केंद्र के कदम का स्वागत करते हुए कसीदे पढ़ रहे थे। जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के कई प्रावधानों को खत्म करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के सरकार के कदम का आंशिक रूप से समर्थन करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कर्ण सिंह ने बृहस्पतिवार को कहा कि इसकी पूर्ण रूप से निंदा करना सही नहीं होगा क्योंकि इसमें कई सकारात्मक बातें हैं।
कांग्रेस के आधिकारिक रुख से अलग राय जाहिर करते हुए जम्मू कश्मीर के पूर्व 'सदर-ए-रियासत' सिंह ने एक बयान में कहा कि मुझे यह स्वीकार करना होगा कि संसद में तेजी से लिए गए निर्णयों से हम सभी हैरान रह गए। ऐसा लगता है कि इस बहुत बड़े कदम को जम्मू और लद्दाख सहित पूरे देश में भरपूर समर्थन मिला है। मैंने इस हालात को लेकर बहुत सोच-विचार किया है।
उन्होंने कहा कि निजी तौर पर मैं इस घटनाक्रम की पूरी तरह निंदा किए जाने से सहमत नहीं हूं। इसमें कई सकारात्मक बिंदु हैं। लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने का निर्णय स्वागत योग्य है। दरअसल, सदर-ए-रियासत रहते हुए मैंने 1965 में इसका सुझाव दिया था। सिंह ने कहा कि अनुच्छेद 35ए में स्त्री-पुरुष का भेदभाव था उसे दूर किए जाने की जरूरत थी और साथ ही पश्चिमी पाकिस्तान के शरणार्थियों को मतदान का अधिकार मिला है।


