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जौला को देख डरे मोदी सरकार के मंत्री

9 महीनों से लगातार चल रहे आंदोलन के बाद अब किसानों ने बीजेपी शासित राज्यों में होने वाले चुनावों पर अपने नजरें टिका ली हैं ..इसी के चलते यूपी के मुजफ्फरनगर में किसानों की महापंचायत का आयोजन किया गया.इस महापंचायत को विपक्षी पार्टियों के साथ साथ जनता का भी पूरा साथ मिला.. लेकिन मोदी सरकार के मंत्रियों को जो कुछ भी हुआ वो रास नहीं आया ..जिसकी वजह से अब इस महापंचायत को लेकर राजनीति शुरू हो गई है ..

जौला को देख डरे मोदी सरकार के मंत्री
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यूपी के मुजफ्फरनगर जिले में हुई किसानों की महापंचायत को विपक्षी पार्टियों के साथ साथ जनता का भी समर्थन मिला ..इस दौरान किसानों के मंच पर गुलाम मोहम्मद जौला को भी जगह दी गई ..लेकिन मोदी सरकार के कुछ मंत्रियों को ये बात खटक गयी .. जिसके बाद इसे लेकर राजनीति शुरू हो गई है ...केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान ने आरोप लगाया और जौला को जगह दिए जाने को लेकर कहा कि ऐसे लोग जिन्होंने मुजफ्फरनगर को साम्प्रदायिक दंगों की आग में झोंका और वो पंचायत के मंच पर बैठे हैं. इसका जवाब मुजफ्फरनगर की जनता पंचायत के आयोजकों से मांगेगी. उन्होंने आगे कहा कि किसान पंचायत का मंच राजनीतिक रूप ले रहा है. सभी को राजनीति करने का अधिकार है. अगर कोई राजनीति में आना चाहता है तो उनका स्वागत है...गौरतलब है कि महापंचायत में पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और उत्तराखंड से लाखों किसान शामिल हुए..इस महापंचायत में भारतीय किसान मजदूर संगठन के अध्यक्ष गुलाम मोहम्मद जौला को मंच दिए जाने को लेकर सियासत गरमा गई है..संजीव बालियान के इस बयान के बाद जौला ने पलटवार किया है ..उन्होंने कहा 2013 के दंगों में संजीव बालियान और उमेश मलिक ने पैसे देकर अपने समाज के लोगों से दंगा कराया था. उस दौरान मेरे गांव में कोई हिंसा नहीं हुई और ना ही किसी की जान गई ...बता दें कि मोहम्मद जौला 80 के दशक से ही महेंद्र सिंह टिकैत के साथ बड़े-बड़े आंदोलन में रहे हैं.. 2013 के दंगों के बाद जौला ने भारतीय किसान यूनियन से दूरी बना ली थी.. जौला पर 2013 के मुजफ्फरनगर दंगे में साम्प्रदायिक उन्माद फैलाने के आरोप भी लगे, लेकिन उनके खिलाफ कोई मुकदमा दर्ज नहीं हुआ...


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