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बिना प्रतिबंध के टेलिग्राम को कैसे रोके जर्मनी

टेलिग्राम का इस्तेमाल वैक्सीन का विरोध करने के लिए बनाई जा रही खबरों और मौत की धमकियों के प्रसार में हो रहा है.

बिना प्रतिबंध के टेलिग्राम को कैसे रोके जर्मनी
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जर्मन सरकार की कोरना वायरस के बारे में नीतियों के खिलाफ जो सबसे ज्यादा हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए हैं उनके लिए भीड़ जुटाने में भी टेलिग्राम ने अहम भूमिका निभाई है. महामारी की शुरुआत से ही ऐसा हो रहा है. अब सरकार वैक्सीन को जरूरी बनाने पर विचार कर रही है ऐसे में अधिकारियों को आशंका है कि इस विवादित मुद्दे पर विरोध और जोर पकड़ सकता है.

टेलिग्राम टास्कफोर्स
जर्मनी की संघीय पुलिस ने बुधवार को बताया कि उन्होंने एक टेलिग्राम टास्क फोर्स बनाई है. यह टास्कफोर्स टेलिग्राम पर भेजा जा रहे ऐसे सदेशों की जांच करेगी जिनमें मौत की धमकियां और नफरती भाषण हैं. इन्हें भेजने वालों की पहचान करके उनके खिलाफ अभियोग चलाया जाएगा.

संघीय पुलिस बीकेए के प्रमुख होल्गर मुएंष का कहना है, "कोरोना वायरस की महामारी ने टेलिग्राम पर लोगों में कट्टरता बढ़ाने के लिए खासतौर से बड़ी भूमिका निभाई है. लोगों को धमकियां दी जा रही हैं और यहां तक कि हत्या करने की मांग की जा रही है."

गृह मंत्री नैंसी फाएजर ने सुझाव दिया है कि अगर टेलिग्राम गैरकानूनी गतिविधियों को रोकने में सहयोग देने से इनकार करता है तो सरकार इस सेवा पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा देगी. जर्मन अखबार डी त्साइट से बातचीत में फाएजर ने कहा कि अगर यह स्थानीय कानूनों का पालन करने में नाकाम रहता है और "दूसरे सारे उपाय नाकाम हो जाते हैं" तो टेलिग्राम को जर्मनी में बंद किया जा सकता है.

टेलिग्राम ग्रुप में दो लाख सदस्य
टेलिग्राम चैट ग्रुप में 200,000 तक सदस्य हो सकते हैं. इसका इस्तेमाल वैक्सीन विरोधी प्रदर्शनों, गलत जानकारियों को साझा करने राजनेताओं के खिलाफ हिंसा को बढ़ावा देने के लिए हो रहा है. दिसंबर में जर्मन पुलिस ने पूर्वी शहर ड्रेसडेन में मारे छापों के दौरान हथियार बरामद किए. एक क्षेत्रीय नेता के खिलाफ मौत की धमकियों के बारे में बात करने के लिए टेलिग्राम ग्रुप का इस्तेमाल करने के बाद ये छापे मारे गए थे.

उसी महीने टेलिग्राम का इस्तेमाल सैक्सनी राज्य के स्वास्थ्य मंत्री के घर के बाहर कोरोना वायरस पर आशंका उठाने वाले लोगों की भीड़ जुटाने के लिए किया गया. यहां जुटे लोगों ने हाथों में मशाल ले रखी थी. इसी तरह एक संदेश में कोविड की पाबंदियों का विरोध करने वाले लोगों से "स्थानीय सांसदों, राजनेताओं और दूसरे लोगों" के निजी पते साझा करने की मांग की गई थी. इनके बारे में कहा गया था कि ये लोग कोरोना पाबंदियों से लोगों की जिंदगी तबाह कर रहे हैं. इस संदेश को 25,000 लोगों ने देखा था.

शरणार्थी विरोध
2015 में जब शरणार्थी समस्या अपने उफान पर थी तब धुर दक्षिणपंथियों ने फेसबुक और ट्विटर जैसे नेटवर्किंट टूल का इस्तेमाल कर शरणार्थी विरोधी सामग्रियों का खूब प्रसार किया. 2017 में जर्मनी ने एक कानून पारित कर सोशल नेटवर्किंग कंपनियों के लिए गैरकानूनी सामग्रियों को हटाना और पुलिस को इसकी जानकारी देना जरूरी कर दिया.

फेसबुक ने बीते साल सितंबर में बताया कि उसने "क्वरडेंकर" नाम के एक अकाउंट से जुड़े पेज, और ग्रुप को डिलीट कर दिया है. यह एक अभियान था जो जर्मन सरकार की कोरोना से जुड़ी पाबंदियों के खिलाफ सबसे ज्यादा मुखर हो कर सामने आया था.

हालांकि इसके बाद विरोध करने वालों ने दूसरे प्लेटफॉर्मों का रुख किया जिनमें टेलिग्राम सबसे पसंदीदा बन कर उभरा है. नस्लवाद विरोधी फाउंडेशन अमादे अंटोनियो की डिजिटल मैनेजर सिमोन राफाएल का कहना है, "फेसबुक जैसे बड़े प्लेटफॉर्म नस्लवाद, यहूदी-विरोध और धुर दक्षिणपंथी सामग्रियों जैसे होलोकॉस्ट से इंकार को जगह नहीं देते हैं ऐसे में जो लोग इस तरह की बातें फैलाना चाहते हैं उन्हें नए रास्तों की तलाश है." राफाएल का कहना है कि फिलहाल जर्मनी में सबसे मशहूर टेलिग्राम है.

फेसबुक पीछे छूटा
फेसबुक जर्मनी में अपनी मौजूदगी बनाए रखता है इसलिए वह धीरे धीरे यहां के राष्ट्रीय कानून के आगे समर्पण कर रहा है लेकिन टेलिग्राम के साथ यह बात नहीं है. राफाएल के मुताबिक, "टेलिग्राम न्यायिक या सुरक्षा प्रशासनों के साथ सहयोग नहीं कर रहा है. यहां तक कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी जैसे अविवादित रूप से दंडनीय और कलंकित मामलों में भी नहीं, सरकार के पास तो कार्रवाई का कोई जरिया ही नहीं है."

सरकार के पास एक विकल्प यह है कि वह गूगल या एप्पल से टेलिग्राम को अपने ऐप स्टोर से हटाने के लिए कहे. हालांकि इससे उन यूजरों पर कोई असर नहीं पड़ेगा जिनके पास यह ऐप पहले से मौजूद है. राफाएल तो बस एक ही समाधान देखती हैं कि ऐप पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया जाए. ऐसा हुआ तो जर्मनी टेलिग्राम पर प्रतिबंध लगाने वाले पहला पश्चिमी देश बन जाएगा.

प्रतिबंध की मुश्किलें
टेलिग्राम को 2013 में रूसी भाइयों निकोलाइ और पावेल डुरोव ने बनाया था. रूसी राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिने के विरोधी ये दोनों भाई एक ऐसी सेवा चाहते थे जो उनके देश की गुप्तचर सेवा की पहुंच से दूर हो.

कंपनी का मुख्यालय फिलहाल दुबई में है और इसका पैरेंट ग्रुप ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स में. टेलिग्राम को चीन, भारत और रूस में पहले से ही कड़ी शर्तों या प्रतिबंधों में बांध कर रखा गया है. हालांकि इस ऐप के खिलाफ कार्रवाई से जर्मनी में असंतोष और बढ़ेगा. डिजिटल जर्नलिस्ट मार्कुस रॉयटर का कहना है, "एक तरफ तो हम टेलिग्राम के सेंसरशिप की कमी का जश्न मना रहे हैं, बेलारूस और ईरान में लोकतांत्रिक अभियानों के लिए उसका महत्व देख रहे हैं, दूसरी तरफ उसकी सेवा को जर्मनी में बंद कर रहे हैं." रॉयटर का कहना है,"इस तरह के कदमों से गलत संदेश जायेगा."


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