नये मिसाइल डिफेंस सिस्टम की तैनाती पर विचार कर रहा है जर्मनी
जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने खुद यह जानकारी दी है.

यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद यूरोप का सुरक्षा परिदृश्य बदल गया है. यूरोपीय देशों की सुरक्षा को लेकर चिंता के साथ ही नाटो की सक्रियता और एकजुटता बढ़ गई है. पिछले दिनों जर्मनी ने दूसरे विश्वयुद्ध के बाद से चली आ रही रक्षा नीति में बड़े बदलाव के संकेत दिए थे और अचानक रक्षा बजट बढ़ाने का एलान कर दिया था. अब उसी दिशा में कुछ और कदम भी उठाए जा रहे हैं.
मिसाइल डिफेंस सिस्टम पर विचार
रविवार को जर्मनी टीवी चैनल एआरडी से बातचीत में चांसलर शॉल्त्स से मिसाइल हमलों से बचाव के लिए सिस्टम लगाने के बारे में पूछा गया तो शॉल्त्स ने कहा कि "निश्चित रूप से यह उनमें शामिल है, जिन पर हम चर्चा कर रहे हैं." इसके साथ ही जर्मन चांसलर ने यूक्रेन पर रूस की कार्रवाई के संदर्भ में यह भी कहा, "हमें खुद को इस सच्चाई के लिए तैयार करना होगा कि हमारा पड़ोसी अपने हितों में दबाव बनाने के लिए ताकत का इस्तेमाल करने के लिए तैयार है, इसलिए हमें साथ मिल कर इसके लिए काम करना होगा, जिससे कि वह ना हो सके."
जर्मन चांसलर ने अरबों डॉलर खर्च करने के लिए बन रही योजना के बारे में और ब्यौरा देने से मना कर दिया और बस यही कहा कि अभी यह तय नहीं है.
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आयरन डोम और एरो
कुछ दिन पहले जर्मन अखबार बिल्ड ने खबर दी थी कि जर्मनी इस्राएल से एरो 3 सिस्टम खरीदने पर विचार कर रहा है. इसकी कीमत तकरीबन 2.2 अरब डॉलर है. एरो सिस्टम लंबी दूरी से आने वाली मिसाइलों को खत्म करने में सक्षम है. यह पृथ्वी से बहुत अधिक ऊंचाई पर काम करता है. वास्तव में इसकी रेंज पृथ्वी के वायुमंडल तक है.
इस मिसाइल डिफेंस सिस्टम की तैनाती के बाद जर्मन सेना की क्षमता में नया इजाफा होगा.
इस्राएल का एरो सिस्टम आयरन डोम सिस्टम से अलग है. आयरन डोन को कम ऊंचाई पर उड़ान भरने वाली कम दूरी की मिसाइलों के लिए तैयार किया गया है. कम ऊंचाई और दूरी वाली मिसाइलों से रक्षा के लिए जर्मनी के पास पहले ही एक डिफेंस सिस्टम तैनात है. इसका नाम पैट्रियट है.
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यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद जर्मन चांसलर ने जर्मन सेना को मजबूत करने के लिए 100 अरब यूरो के विशेष फंड की घोषणा की. यह पैसा कैसे खर्च होगा, इस पर उन्होंने जर्मन सेना के महानिरीक्षक एबरबार्ड त्सॉर्न और रक्षा मंत्री क्रिश्टीन लाम्बरेष्ट से बुधवार को चर्चा की. बिल्ड अखबार ने खबर दी है कि इस दौरान एरो 3 को हासिल करने के बारे में भी चर्चा हुई है.
सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि जर्मन संसद के रक्षा विभाग से जुड़े कुछ नेता इस्राएल जा रहे हैं और वहां एयर डिफेंस सिस्टम के बारे में जानकारी हासिल करेंगे. इस दौरान इस्राएली नेताओं और सुरक्षा अधिकारियों से कई स्तरों पर बातचीत होगी.
यूक्रेन युद्ध ने बदले हालात
बीते कुछ दशकों से जर्मनी अपने लिए किसी पारंपरिक युद्ध के खतरे की आशंका नहीं देख रहा था. यही वजह है कि मिसाइल डिफेंस सिस्टम को जरूरी मानते हुए भी इस पर उतना ध्यान नहीं दिया गया. इनके आधुनिकीकरण की योजनाएं भी समय से पीछे चल रही थीं. यूक्रेन युद्ध से पहले तक जर्मनी के लिए खुद की बजाय नाटो के सदस्य देशों पर हमले की आशंका ही ज्यादा बड़ी चिंता की वजह थी.
यूक्रेन युद्ध के बाद जिस तरह हालात बदले हैं, उसमें अब हैरान करने वाली घटनाओं की जगह सिमटती जा रही है. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन की मदद करने वालों को कई बार धमकी भी दे चुके है. ऐसे में अब पश्चिमी देशों को अपनी रक्षा जरूरतों के बारे में नए सिरे से सोचना पड़ रहा है.


