'भारत नीतियों का लाभ सबसे निचले तबके तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध'
जिनेवा/नई दिल्ली ! भारत के महान्यायवादी मुकुल रोहतगी ने कहा कि भारत अपनी नीतियों और योजनाओं का लाभ समाज के सबसे निचले स्तर तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध है।

जिनेवा/नई दिल्ली ! भारत के महान्यायवादी मुकुल रोहतगी ने कहा कि भारत अपनी नीतियों और योजनाओं का लाभ समाज के सबसे निचले स्तर तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध है। रोहतगी ने जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) में भारत के तीसरे यूनिवर्सल पीरिआडिक रिव्यू (यूपीआर) में कहा, "मेरी (भारत) सरकार किसी को भी पीछे नहीं छोड़ने के प्रति वचनबद्ध है और सबसे निचले तबके तक वह अपनी नीतियों और योजनाओं को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है।"
उन्होंने कहा, "हमारे स्वप्नदर्शी प्रधानमंत्री ने महत्वपूर्ण शुरुआतें की हैं, जैसे कि डिजिटल इंडिया, स्मार्ट सिटी, और सामाजिक और धार्मिक हैसियत से अलग सभी बालिकाओं के जन्म का जश्न मनाने और उन्हें शिक्षित करने के प्रयास किए हैं।"
यूपीआर एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों के मानवाधिकारों के रिकॉर्ड की समीक्षा होती है। इसमें प्रत्येक देश को उसके द्वारा मानवाधिकारों की स्थिति में सुधार और दायित्वों को पूरा करने के लिए उठाए गए कदमों को बताने का मौका मिलता है।
यूपीआर को 15 मार्च 2006 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में 60/251 मतों के अंतर से प्रस्ताव पारित कर बनाया गया था जिसके साथ यूएनएचआरसी का गठन हुआ था।
भारत की पहली यूपीआर समीक्षा 2008 में और दूसरी 2012 में हुई थी।
कुछ वक्ताओं द्वारा भारत की राष्ट्रीय रिपोर्ट की समीक्षा के दौरान भेदभाव का मुद्दा उठाने पर रोहतगी ने कहा, "हम उनसे अनुरोध करते हैं कि इन शुरुआतों को भी देखें और प्रयासों को भी जिन्हें देश के कोने-कोने तक फैलाया जा रहा है। इसमें वह इलाके भी शामिल हैं, जहां पर दशकों से कोई सरकारी काम नहीं हुआ है। हमारा उद्देश्य भारत को गरीबी से मुक्त करना और देश के नागरिकों को मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराना है।"
भारत के यूपीआर में दिलचस्पी लेने के लिए सदस्यों को धन्यवाद देते हुए उन्होंने कहा कि हम यहां सामने आए तमाम विचारों को अपने साथ लेकर जाएंगे ताकि हमारी व्यवस्था में और मजबूती आए क्योंकि हम मानते हैं कि मानवाधिकारों को आगे बढ़ाने और बेहतर करने का काम एक सतत प्रक्रिया का हिस्सा है।
महान्यायवादी ने कहा कि भारत समावेश, भाईचारे और सहिष्णुता के प्रचलन वाली हजारों वर्षो वाली एक जीती जागती सभ्यता है।
उन्होंने कहा, "विश्व की तेजी से बढ़ती हुई महत्वपूर्ण अर्थव्यवस्था विश्व के लिए नई आशा का प्रतिनिधित्व करती है। यह आशा सतत विकास और किसी को पीछे नहीं छोड़ने की है। हमने चुनौतियों से निपटने के लिए तैयारियां की हैं जोकि मौजूद हैं। और, जो उत्पन्न हो सकती हैं, उन्हें आपस में बातचीत के द्वारा रोका जा सकता। हमारे इस लक्ष्य से केवल भारत ही नहीं बल्कि पूरे क्षेत्र को फायदा पहुंचेगा। हम इस यात्रा में आपके साथ काम करने के लिए तैयार हैं।"
गुरुवार को अपने शुरुआती बयान में रोहतगी ने कहा था कि भारत कमजोर समूहों के अधिकारों की रक्षा करता है और उनके बचाव और कल्याण के लिए कानूनों को मजबूत कर रहा है।
रोहतगी भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं जिसमें भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं।


