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केजरीवाल व सक्सेना में नाक की लड़ाई में आम जनता पिस रही : कांग्रेस

दिल्ली प्रदेश कांग्रेस ने कहा है कि दिल्ली में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तथा उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना के बीच नाक की लड़ाई में राजधानी की जनता पिस रही है

केजरीवाल व सक्सेना में नाक की लड़ाई में आम जनता पिस रही : कांग्रेस
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नई दिल्ली। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस ने कहा है कि दिल्ली में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तथा उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना के बीच नाक की लड़ाई में राजधानी की जनता पिस रही है और इसी के चलते दिल्ली को आज भी उसका मेयर नहीं मिल सका है।

दिल्ली कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता डॉ नरेश कुमार ने कहा कि यह भारतीय जनता पार्टी तथा आम आदमी पार्टी (आप) की क्षूद्र राजनीति को दर्शाता है। उन्होंने यह भी आराेप लगाया कि राजधानी के स्कूलों में शिक्षा स्तर में सुधार तथा शैक्षिक संस्थानों में लोगों को रोजगार दिए जाने के बारे में दिल्ली सरकार झूठी बयानबाजी कर रही है।

डॉ नरेश कुमार ने सोमवार को यहां जारी एक बयान में कहा कि उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया कह रहे हैं कि उपराज्यपाल सक्सेना राजधानी के स्कूलों के लिए 216 प्रिंसिपलों की मंजूरी में टांग अड़ा रहे हैं जिससे स्कूलों की पढ़ाई पर असर पड़ रहा है। सच्चाई यह है कि सरकारी स्कूलों में पढ़ाई की गुणवत्ता पर तो पहले ही जबरदस्त असर असर पड़ चुका है और इसका ठीकरा प्रिंसिपल की कमी की आड़ में छिपाया जा रहा है। सरकार शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के नाम पर फिर 916 करोड़ रुपए की मांग कर रही है और जो काम पहले ही किए जाने थे वे अभी तक नहीं किए गए हैं।

उन्होंने कहा कि वर्ष 2022 के बजट भाषण में दिल्ली के आबकारी मंत्री सिसोदिया ने यह झूठ बोला था कि दिल्ली सरकार के अधिकार में आने वाले विश्वविद्यालयों में सात वर्ष में केजरीवाल सरकार ने 2500 लोगों को पक्की नौकरी दी है जबकि आर टी आई से प्राप्त सूचना के अनुसार दिल्ली सरकार की यूनिवर्सिटी व कॉलेजों में 160 लोगों को ही स्थाई नौकरी दी गई हैं।

उन्होंने कहा कि मुख्य मंत्री ने यह भी झूठ बोला है कि उन्होंने दिल्ली में टेंटो में चल रहे सरकारी स्कूल की इमारतें बनवाई हैं जबकि सच्चाई यह है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के कार्यकाल में सभी स्कूल इमारतों में चल रहे थे। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री यह कह रहे हैं कि टेंट वाले स्कूल अब टैलेंट वाले स्कूल बन गए हैं लेकिन आरटीआई से प्राप्त सूचनाओं के अनुसार वर्ष 2015 में जब श्री केजरीवाल मुख्यमंत्री बने थे तो दिल्ली सरकार का एक भी विद्यालय टेंट में नहीं चल रहा था और जहां तक वह टैलेंट की बात करते हैं तो असलियत यह है कि इन सरकारी स्कूलों के परिणाम में गिरावट आई है।

उन्होंने दावा किया कि दिल्ली सरकार के विद्यालयों में वर्ष 2015 के बाद प्रत्येक वर्ष छात्रों की संख्या व परीक्षा परिणाम में कमी आई है और यह बात इस आंकड़े से साबित होती है कि राजधानी के स्कूलों में दसवीं कक्षा का परिणाम 2013 में 99.46 प्रतिशत था जो 2020 में गिरकर 82.61 प्रतिशत रह गया है। श्री केजरीवाल और उनके मंत्री बार -बार पिछले कई वर्षों से झूठ बोलते रहे हैं।


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