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लैंगिक समानता अभी भी 300 वर्ष दूर है : एंटोनियो गुटेरेस

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने चेतावनी देते हुए कहा है कि महिला अधिकारों की वैश्विक प्रगति समाप्त हो रही है और लैंगिक समानता के दूरगामी लक्ष्यों की प्राप्ति में अभी 300 वर्ष लग सकते हैं

लैंगिक समानता अभी भी 300 वर्ष दूर है : एंटोनियो गुटेरेस
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संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने चेतावनी देते हुए कहा है कि महिला अधिकारों की वैश्विक प्रगति समाप्त हो रही है और लैंगिक समानता के दूरगामी लक्ष्यों की प्राप्ति में अभी 300 वर्ष लग सकते हैं।

‘डाॅन’समाचारपत्र ने मंगलवार को यह जानकारी दी।महिलाओं की स्थिति पर आयोग के नेतृत्व में दो सप्ताह के चर्चा की शुरुआत करते हुए, संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने 08 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर महासभा में कहा,“ लैंगिक समानता हमसे दूर होती जा रही है और वर्तमान ट्रैक पर, संयुक्त राष्ट्र महिला इसको प्राप्त करने से 300 वर्ष दूर है।”

उन्होंने कहा , “पूरी दुनिया में महिलाओं के अधिकारों का दुरुपयोग, हनन और उल्लंघन किया जा रहा है, जिनमें मातृ मृत्यु दर, लड़कियों को स्कूल से बाहर रखना, नवजात बच्चों की माताओं को काम से वंचित करना और बच्चियों को कम उम्र में शादी करने के लिए मजबूर करना शामिल है।”

श्री गुटरेस ने कहा , “दशकों में प्राप्त की गई प्रगति हमारी आंखों के सामने समाप्त हो रही है।” उन्होंने तालिबान शासित अफगानिस्तान की गंभीर परिस्थितियों पर प्रकाश डाला, जहां महिलाओं और लड़कियों का सार्वजनिक जीवन समाप्त हो चुका है।

उन्होंने किसी अन्य विशिष्ट देशों का नाम नहीं लिया लेकिन बल देकर कहा कि कई जगहों पर, महिलाओं से उनके यौन और प्रजनन अधिकारों को वापस लिया जा रहा है और कुछ देशों में स्कूल जाने वाली लड़कियों के अपहरण और हमले का खतरा बढ़ गया है।

उन्होंने ईरान का भी उल्लेख नहीं किया, जिसे पिछले सितंबर, 2022 में महिला-नेतृत्व में हुए विद्रोह का दमन करने के लिए आयोग से पिछले वर्ष के अंत में निष्कासित कर दिया गया था। इस्लामिक गणराज्य को 14 दिसंबर को अमेरिकी नेतृत्व वाले संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक परिषद वोट द्वारा आयोग से बाहर कर दिया गया।

श्री गुटरेस ने कहा कि सदियों से पितृसत्ता, भेदभाव और रूढ़िवादिता ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भी लैंगिक विभेद उत्पन्न कर दिया है। उदाहरण के लिए इन क्षेत्रों में नोबेल पुरस्कार विजेताओं में केवल तीन प्रतिशत महिलाएं हैं।

उन्होंने सरकारों, नागरिक समाज और निजी क्षेत्र से लिंग-उत्तरदायी शिक्षा प्रदान करने, कौशल प्रशिक्षण में सुधार लाने और डिजिटल लैंगिक विभाजन को पाटने में ज्यादा निवेश करने के लिए सामूहिक कार्रवाई का आह्वान किया।

उन्होंने कहा,“ पितृसत्ता वापसी के लिए लड़ रही है लेकिन हम भी डटे हुए हैं और संयुक्त राष्ट्र सभी जगहों पर महिलाओं और लड़कियों के साथ खड़ा है।


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