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कांग्रेस में अंतकर्लह के डायरेक्टर, एक्टर, प्राॅड्यूसर और खलनायक हैं गहलोत : पूनियां

राजस्थान में भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष डाॅ. सतीश पूनियां ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस में जारी अंतकर्लह के डायरेक्टर, एक्टर, प्राॅड्यूसर, खलनायक खुद श्री अशोक गहलोत हैं

कांग्रेस में अंतकर्लह के डायरेक्टर, एक्टर, प्राॅड्यूसर और खलनायक हैं गहलोत : पूनियां
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जयपुर। राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष डाॅ. सतीश पूनियां ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस में जारी अंतकर्लह के डायरेक्टर, एक्टर, प्राॅड्यूसर, खलनायक खुद श्री अशोक गहलोत हैं।

डा़ पूनिया ने आज यहां पत्रकारों से कहा कि कांग्रेस के जो 19 विधायकों की नाराजगी की बात सामने आ रही है, उनको अशोक गहलोत कांग्रेस से बाहर करने का षडयंत्र रच रहे हैं। यह श्री गहलोत का ही षडयंत्र है कि 19 विधायकों को पार्टी से बाहर कैसे निकाला जाये, यह सारी व्यूहरचना उन्होंने ही रची है।

मारग्रेट अल्वा के ट्वीट कि ‘‘सोनिया गांधी एक चाय के प्याले में कांग्रेस की इस समस्या का समाधान कर सकती हैं’’, इस पर डाॅ. पूनियां ने कहा कि तो राजस्थान कांग्रेस में चल रहे झगड़े का सोनिया गांधी समाधान क्यों नहीं निकाल पा रही हैं? वास्तव में यह सियासत और षडयंत्र है कि कांग्रेस के नाराज विधायकों को बाहर का रास्ता दिखाने के लिए ही मुख्यमंत्री गहलोत एवं उनकी सरकार षडयंत्र रच रही है। उन्होंने कहा कि कब तक बाड़े में से मुख्यमंत्री गहलोत सरकार चलायेंगे, इसका जवाब भाजपा और प्रदेश की जनता बार-बार पूछ रही है।

डाॅ. पूनियां ने बताया कि बसपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए छह विधायकों को लेकर विधायक मदन दिलावर की ओर से दायर याचिका को विधानसभा अध्यक्ष सी.पी. जोशी द्वारा याचिका खारिज करने और इसी पर कार्रवाई को लेकर उच्च न्यायालय द्वारा अपील खारिज किये जाने को भाजपा फिर से न्यायालय में चुनौती देने की तैयारी कर रही है। उन्होंने कहा कि हमारे विधि वेत्ताओं से राय मशवरा लिया जा रहा है, उसके बाद एक नई याचिका दायर की जाएगी।

डाॅ. पूनियां ने कहा कि कल बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश मिश्रा की ओर से बीएसपी का पत्र जारी हुआ है। मोटे तौर पर कहा जाए तो बीएसपी का चुनाव चिन्ह है, उसका सिंबल जारी होता है। बीएसपी का राष्ट्रीय स्तर पर कोई मर्जर नहीं हुआ है, इसलिए विधायकों का मर्जर यह संवैधानिक तौर पर जायज है या नहीं है, इसका फैसला न्यायालय करेगा।


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