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गहलोत 'राजनीतिक क्वारंटाइन' में, पायलट खेमा मांग रहा अपना हक

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत डॉक्टरों द्वारा सुझाई गई कोविड सावधानियों को ध्यान में रखते हुए अगले एक या दो महीनों के लिए व्यक्तिगत रूप से कोई बैठक नहीं करेंगे

गहलोत राजनीतिक क्वारंटाइन में, पायलट खेमा मांग रहा अपना हक
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जयपुर। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत डॉक्टरों द्वारा सुझाई गई कोविड सावधानियों को ध्यान में रखते हुए अगले एक या दो महीनों के लिए व्यक्तिगत रूप से कोई बैठक नहीं करेंगे। उनके कार्यालय ने सोमवार को घोषणा की।

मीडिया सेल के संदेश के अनुसार, "मुख्यमंत्री कोविड से संक्रमित होने के बाद, कोविड के परिणामों के मद्देनजर डॉक्टरों की सलाह पर किसी से व्यक्तिगत रूप से मिलने में असमर्थ रहे हैं।"

कहा गया है कि सभी बैठकें और चर्चा वीडियो कॉन्फ्रेंस और वीडियो कॉल के माध्यम से हो रही है। डॉक्टरों ने कहा है कि अगले एक से दो महीने की बैठकों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भाग लेना चाहिए। विभिन्न विभागों के लिए समीक्षा बैठकें भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से की जा रही हैं। असाधारण प्रकार की कोरोना पर बैठकें हुईं। 15 से 16 महीने में करीब 355 बैठकें हुईं, जिनमें ग्राम प्रतिनिधि, वार्ड पंच और सरपंच शामिल हुए।

इस संदेश ने अटकलों को हवा दी कि पूर्व उपमुख्यमंत्री और पूर्व प्रदेश कांग्रेस प्रमुख सचिन पायलट के खेमे के मद्देनजर गहलोत राजनीतिक क्वारंटाइन से गुजर रहे हैं, क्योंकि राज्य नेतृत्व के खिलाफ बगावत के 11 महीने बाद वह फिर से उसी राह पर चल पड़े हैं और उनसे पहले किए गए वादों को जल्दी से लागू करने की मांग कर रहे हैं।

वे जल्द से जल्द कैबिनेट विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों की मांग कर रहे हैं।

दरअसल, पायलट खेमे के अलावा, 2018 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस में शामिल हुए और पिछले साल संकट के दौरान गहलोत सरकार का समर्थन करने वाले बसपा के छह पूर्व विधायकों ने भी एक बैठक बुलाई है और अपनी मांगों को लेकर सरकार पर दबाव बनाने का फैसला किया है।

गहलोत से मिलने के लिए कई विधायक और मंत्री कतार में थे। हालांकि, सोमवार को उनके संदेश ने सभी को हैरान कर दिया है।

सवाल यह उठता है कि मुख्यमंत्री आज तक विधायकों और मंत्रियों से मिल रहे थे, मगर अब वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग पर स्विच करने का फैसला किया है।

कांग्रेस के एक नेता ने कहा, यह स्पष्ट है कि मुख्यमंत्री अगले दो महीनों के लिए कैबिनेट विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों में देरी करना चाहते हैं। ऐसा इसलिए है, क्योंकि वह यह संदेश नहीं देना चाहते हैं कि उन्होंने पायलट के दबाव में आकर नियुक्तियां कीं।


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