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जीबीयू ने कोरिया के डोंग्गुक विवि वाइज के साथ किया शैक्षिक शोध एवं शैक्षिक विकास के लिए समझौता

समझौते से शिक्षण और अनुसंधान गतिविधियों में रुचि को बढ़ावा व शैक्षणिक, सांस्कृतिक, पर्यावरण और आर्थिक लाभों को व्यापक बनाना

जीबीयू ने कोरिया के डोंग्गुक विवि वाइज के साथ किया शैक्षिक शोध एवं शैक्षिक विकास के लिए समझौता
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ग्रेटर नोएडा। गौतमबुद्ध विवि (जीबीयू) ने कोरिया की डोंग्गुक यूनिवर्सिटी वाइज के साथ शैक्षिक शोध एवं छात्रों के शैक्षिक विकाश के लिए समझौता किया। इस वर्ष भारत और दक्षिण कोरिया राजनयिक संबंधों की 50वीं वर्षगांठ के रूप में दोनों देश मना रहे हैं जो प्राचीन काल से ही सांस्कृतिक संबंधों के माध्यम एक दूसरे से जुड़े हुए हैं।

समझौते पर आधिकारिक रूप से अमली जामा पहनाने हेतु हस्ताक्षर हुए जिसमें जीबीयू के कुलसचिव डॉ. विश्वास त्रिपाठी और डोंग्गुक विश्वविद्यालय वाइज के प्रेसिडेंट यी यंग-क्यूँग अपने अपने हस्ताक्षर किए।

डॉ. अरविंद सिंह जिन्होंने इस समझौते को साकार करने में एक मुख्य भूमिका निभाई है उनका कहना है कि गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय दक्षिण कोरिया में एक प्रसिद्ध विश्वविद्यालय है। और यही वजह है कि विश्वविद्यालय ने पहले भी दक्षिण कोरिया के डोंगगुक विश्वविद्यालय के दो संस्थानोंध्कॉलेजों के साथ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं। इसी क्रम में तीसरे समझौते ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुए हैं।

कुलसचिव डॉ विश्वास त्रिपाठी ने कहा कि इस समझौते की मदद से दोनों संस्थानों के बीच शैक्षिक शोध में सहयोग के उद्देश्य के लिए किया गया है। इस समझौते के अंतर्गत निम्न बिंदुओं पर सहमती हुई है, जिसमें दोनों संस्थानों के छात्रों, संकाय सदस्यों के बीच आपसी आदान-प्रदान, अनुसंधान और प्रकाशनों के माध्यम से सूचना का आदान-प्रदान, आपसी हित के क्षेत्रों में समस्या-समाधान में ज्ञान और अनुप्रयोग के सृजन के लिए संयुक्त परियोजना पर सहयोगात्मक अनुसंधान कार्य करना, संगोष्ठीध् सम्मेलनध् कार्यशालाध् संगोष्ठीध् वेबिनारध् विचार-मंथन सत्र की भागीदारी एवं आयोजन, और दोनों पक्षों की आपसी समझ से कोई अन्य मामला, इत्यादि।

जीबीयू के कुलपति प्रो. रवीन्द्र कुमार सिन्हा ने कहा कि दोनों संस्थानों के बीच इस समझौते का मुख्य उद्देश्य संबंधित संस्थानों की शिक्षण और अनुसंधान गतिविधियों में रुचि को बढ़ावा देना है और उनके बीच सहयोग के शैक्षणिक, सांस्कृतिक, पर्यावरण और आर्थिक लाभों की समझ को व्यापक बनाना है।

समझौते के समय वहाँ डॉ. इन्दु उप्रेती, प्रो. बंदना पाण्डे, डॉ. नीति राणा, प्रो. संजय शर्मा, डॉ. ओम प्रकाश, डॉ. के.के. द्विवेदी, डॉ. सीएस पासवान, ली यू-क्यूँग, बाए ब्यूँग-गुक, चोई दोंग-उक, इत्यादि मौजूद रहे।


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