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6743 करोड़ रुपए के कर्ज में डूबा ग्रेनो प्राधिकरण

 पिछले दस साल में बिल्डरों  का फायदा पहुंचाने और मनमानी तरीके से जमीन अधिग्रहण के कारण ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने 6743 करोड़ रुपए के कर्ज में डूब चुका है

6743 करोड़ रुपए के कर्ज में डूबा ग्रेनो प्राधिकरण
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ग्रेटर नोएडा। पिछले दस साल में बिल्डरों का फायदा पहुंचाने और मनमानी तरीके से जमीन अधिग्रहण के कारण ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने 6743 करोड़ रुपए के कर्ज में डूब चुका है। कर्मचारियों को वेतन देने के लिए प्राधिकरण के पास पैसे की दिक्कत खड़ी हो रही है।

प्राधिकरण को प्रति दिन दो करोड़ रुपए का ब्याज का भुगतान करना पड़ रहा हे। इसकी नतीजा रहा कि प्रदेश सत्ता परिवर्तन होने पर भी ग्रेटर नोएडा में विकास कार्य पटरी पर नही आ पा रहा है। प्राधिकरण कोई नया प्रोजेक्ट नहीं ला पा रहा है। चल रहे प्रोजेक्ट का रखरखाव भी ठीक तरीके से नहीं हो पा रहा है। सड़कें टूटी पड़ी है, सेक्टरों में झाड़ियों व घास की सफाई तक नहीं हो पा रही है। इसका खमियाजा सेक्टर के लोगों को भुगतना पड़ रहा है। ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने बैंकों से कर्ज लेकर विकास के लिए जमीन अधिग्रहण किया। जमीन अधिग्रहण औद्योगिक विकास के लिए किया गया। तत्कालीन प्राधिकरण अधिकारियों व नेताओं की सांठ-गांठ के चलते औद्योगिक विकास के बजाय बिल्डर विकास पर जोर दिया गया। औद्योगिक निवेश को दर किनार कर दिया गया। इसी का नतीजा रहा है कि प्राधिकरण को नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण समेत विभिन्न बैंकों से लोन लेकर नए प्रोजेक्ट शुरू किए गए और किसानों को मुआवजा दिया गया।

प्राधिकरण 6743.04 करोड़ रुपए के कर्ज में डूबा चुका है। कर्ज का प्राधिकरण को प्रतिमाह 60 करोड़ रुपए ब्याज देना पड़ रहा है यानि दो करोड़ रुपए प्रति दिन प्राधिकरण का ब्याज पर जा रहा है। प्राधिकरण की विभिन्न परसंपत्तियों से हो रही आमदनी ब्याज पर चला रहा है। नोएडा प्राधिकरण से ग्रेनो प्राधिकरण चार बार कर्ज ले चुका है। 9.50 प्रतिशत ब्याज पर पर नोएडा प्राधिकरण ने कर्ज दे रखा है। नोएडा मेट्रो रेल कारपोरेशन से प्राधिकरण से 58 करोड़ रुपए कर्ज लिया है। इसके अलावा 18 विभिन्न बैंकों से कर्ज लिया है। जिस पर प्राधिकरण ने आठ प्रतिशत से दस प्रतिशत तक हर माह ब्याज का भुगतान करना पड़ रहा है। प्रति माह ब्याज भुगतान करने के लिए प्राधिकरण को अपने खर्चों में कटौती करनी पड़ रही है। बिल्डरों पर बकाया रशि भी प्राधिकरण नहीं वसूल पा रहा है। पूर्व अधिकारियों व सरकारों के कारण प्राधिकरण को शहर का विकास कार्य रोकना पड़ रहा है।

पिछले छह माह में कोई भी नया विकास कार्य नहीं शुरू हो पाया। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने 2008-2009 के दौरान ने बिल्डरों से दस फीसदी राशि लेकर भूखंड का आबंटन पत्र जारी कर दिया। दो साल तक बिना ब्याज के किश्त जमा न करने की छूट दी गई। बिल्डरों को जब किश्त भुगतान का समय आया तो उन्हें शून्य काल अवधि का लाभ देकर प्राधिकरण को चूना लगाया गया। बिल्डर अभी तक प्राधिकरण का बकाया राशि जमा करने के बजाय शून्य अवधि काल का लाभ मांग रहे हैं। प्राधिकरण में ऐसे 43 बिल्डरों से प्रस्ताव दे रखा था जिसे प्राधिकरण से खारिज कर दिया। दस साल के दौरान प्राधिकरण ने ऐसे भी जमीन किसानों से टुकड़ो-टुकड़ों में खरीदी जिसका विकास कार्य के लिए कोई औचित्य नहीं बनता था। जमीन खरीदने के बाद भी प्राधिकरण उस पर अभी तक कब्जा नहीं ले पाया है।


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