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प्रयागराज में गंगा-यमुना जलस्तर चढ़ाव पर

मध्य प्रदेश में वर्षा होने के कारण केन और बेतवा के जलस्तर में वृद्धि और टिहरी एवं नरौरा बांध तथा कानपुर बैराज से पानी छोड़े जाने के कारण तीर्थराज प्रयाग में गंगा और यमुना नदी के जलस्तर बढ़ने का क्रम

प्रयागराज में गंगा-यमुना जलस्तर चढ़ाव पर
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प्रयागराज। मध्य प्रदेश में वर्षा होने के कारण केन और बेतवा के जलस्तर में वृद्धि और टिहरी एवं नरौरा बांध तथा कानपुर बैराज से पानी छोड़े जाने के कारण तीर्थराज प्रयाग में गंगा और यमुना नदी के जलस्तर बढ़ने का क्रम जारी है जिससे निचले क्षेत्रों में रहने वालों में दहशत कायम है।

सिंचाई विभाग बाढ़ खंड विभाग द्वारा जारी आंकडों के अनुसार गुरूवार की तुलना में आज दोनों नदियों के जलस्तर में बढोत्तरी दर्ज की गयी। गंगा फाफामऊ में 27 सेंटीमीटर, छतनाग 26 सेंटीमीटर और यमुना नदी के नैनी में 28 सेंटीमीटर की बढ़ोत्तरी दर्ज की गयी है।

सिंचाई विभाग बाढ़ खंड विभाग के अधिशाषी अभियंता बृजेश कुमार ने बताया कि शुक्रवार को फाफामऊ में गंगा का जलस्तर 81.82 मीटर, छतनाग 80.36 मीटर और यमुना 81.04 मीटर दर्ज किया गया है। केन और बेतवा नदी में जलस्तर बढ़ने से प्रयागराज में यमुना और कानुपर बेराज से कल 2.35 लाख क्येसिक पानी छोड़े जाने और बीच-बीच में कहीं वर्षा होने के कारण गंगा के जल में वृद्धी हो रही है।

उन्होने कहा कि दोनो नदियों में जलस्तर बढ़ने की गति बहुत मंद है जिसको लेकर फिलहाल खतरे का कोई अंदेशा नहीं दिखलाई पड़ रहा है। जिला प्रशासन की ओर से नदियों के निचले क्षेत्र में रहने वालो को अलर्ट कर दिया गया है।
गौरतलब है कि गंगा नदी एक सप्ताह पहले अपना रौद्र रूप दिखाते हुए खतरे के निशान 84.734 मीटर की तरफ तेजी से बढ़ रही थीं। उस समय वह

खतरे के निशान से करीब दो मीटर नीचे बह रहीं थी। रसूलाबाद और दारागंज घाट जलमग्न हो जाने के कारण बाहर से आने वालो को अपने प्रियजनों का शवदाह सड़क पर करना पड़ रहा था। निचले क्षेत्रों में रहने वालों के घरों में पानी घुस गया था जिन्हे अपनी सुरक्षा के लिए अन्यत्र रहना पड़ रहा था।

घाट किनारे पंडे और पुरोहितों को अपने तख्त और सामानों समेत सुरक्षित स्थान परेड़ में डेरा डालना पडा था। पिछले पांच दिनो में जलस्तर घटने के कारण लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी पुन: ढर्रे पर लौट रही थी कि एक बार फिर नदियों के जलस्तर में वृद्धि के कारण लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। घाट पर पंडे और पुरोहितों को थोड़ा-थोड़ा कर प्रतिदिन अपने सामानों को पीछे खिसकाना पड़ रहा है।


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