गंगा को साफ किया जा सकता है: जसपेर विक
गंगा की सफाई कठिन कार्य है लेकिन धैर्य, लगन और पर्याप्त पैसे के बल पर इसमें सफलता मिल सकती है और गंगा को साफ किया जा सकता है

नयी दिल्ली। गंगा की सफाई कठिन कार्य है लेकिन धैर्य, लगन और पर्याप्त पैसे के बल पर इसमें सफलता मिल सकती है और गंगा को साफ किया जा सकता है।
यह दावा भारत में जर्मन दूतावास के वरिष्ठ राजनयिक जसपेर विक ने यहां पत्रकारों से बातचीत के दौरान किया। उन्होंने कहा कि गंगा की तरह अत्यधिक मैली नदियों को साफ करने का काम जर्मनी में सफलतापूर्वक पूरा हुआ है और उसके अनुभव के आधार पर उन्हें पूरा भरोसा है कि गंगा को साफ बनाया जा सकता है।
मोदी सरकार द्वारा 2014 में शुरू किए गए ‘नमामि गंगा कार्यक्रम’ में गंगा नदी की सफाई में जर्मनी भागीदार देश है और जर्मन राजनयिक को लगता है कि निर्मल गंगा के लिए जो प्रयास किए जा रहे हैं वे सही दिशा में हैं। इनसे गंगा में प्रदूषण घट रहा है। उन्होंने कहा कि जर्मनी को राइन नदी की सफाई करने में 30 साल का समय लगा और इस पर 45 अरब यूरो खर्च हुए।
गंगा सफाइ पर उन्होंने कहा “यह काम हो सकता है। यह बात जर्मनी में दो नदियों को निर्मल बनाने के अनुभव के आधार पर कह रहा हूं। जर्मनी में जिन दो नदियों को साफ किया गया है उनके पानी में अब आराम से बिना जोखिम के तैराकी की जा सकती है।”
उन्होंने कहा कि गंगा की सफाई के लिए तीन बिंदुओं पर ध्यान देने की जरूरत है। सबसे पहले समय देना होगा, फिर पर्याप्त पैसा चाहिए और तीसरा तथा मुख्य बिंदु है कि इस काम के लिए आपकी दृष्टि और सोच व्यापक तथा सही होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जर्मनी सरकार ने 2015 में भारत को गंगा की सफाई के लिए जर्मन विकास बैंक केएफडब्ल्यू से रियायती दर पर ऋण उपलब्ध कराने को कहा था।
जसपेर ने कहा कि उत्तराखंड सरकार ने जर्मनी से 15 करोड़ यूरो ऋण लेने का आग्रह किया जिसमें से 12 करोड़ यूरो सब्सिडी ऋण व्याज दर पर और तीन करोड़ यूरो उत्तराखंड राज्य को मदद के तौर पर उपलब्ध कराए गए। उत्तराखंड के ऋषिकेश और हरिद्वार में इसका असर दिख रहा है।


