'गांधीश्वर' का प्रभावी और संग्रहणीय : डॉ. टी महादेव राव विशेषांक
प्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार डॉ टी महादेव राव, जो लगभग हर विधा में रचनाकर्म करते हैं, के व्यक्तित्व और कृतित्व पर छत्तीसगढ़, कोरबा से प्रकाशित हो रही मासिक पत्रिका 'गांधीश्वर' ने एक विशेषांक प्रकाशित किया है

- नीरव कुमार वर्मा
प्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार डॉ टी महादेव राव, जो लगभग हर विधा में रचनाकर्म करते हैं, के व्यक्तित्व और कृतित्व पर छत्तीसगढ़, कोरबा से प्रकाशित हो रही मासिक पत्रिका 'गांधीश्वर' ने एक विशेषांक प्रकाशित किया है। यह एक संग्रहणीय अंक है। जिसे संपादक सुरेशचंद्र रोहरा और विशेषांक के अतिथि संपादक रमेश शर्मा ने बड़ी मेहनत और मनोयोग से संपादित और प्रस्तुत किया है।
इस विशेषांक में डॉ टी महादेव राव से विभिन्न साहित्यकारों द्वारा लिए गए तीन साक्षात्कार हैं, जो कि विभिन्न समयों पर लिए गए। इनमें उनके लेखन का उद्देश्य, शुरुआती दौर और सोच को हम भलीभांति समझ सकते हैं। डॉक्टर महादेव राव के हिंदी के प्रति प्रेम और प्रतिबद्धता को रेखांकित करता हुआ हिंदी सीखने की संघर्ष की कथा का पता चलता है लेख 'हिंदी की वजह से आज मैं यहां हूं।' से बड़ी बेबाकी और खुलकर अपने हिंदी की संघर्ष का विवरण डॉ राव ने दिया है।
इनकी अब तक प्रकाशित आठ पुस्तकें अलग अलग विधा में हैं और सभी उतनी ही सराही गई हैं। इनमें से 'विकल्प की तलाश में' काव्य संग्रह पर केंद्र सरकार के मानव संसाधन विभाग का श्रेष्ठ हिंदी कवि का एक लाख रुपयों का पुरस्कार इन्हें महत्वपूर्ण रचनाकार बनाता है।
आजकल डॉक्टर तिरुमरेड्डी महादेव राव सामयिक व्यंग्य ज्यादा लिख रहे हैं जिसकी बानगी इस विशेषांक में दिखती है, उनकी व्यंग्य यात्रा में देखी जा सकती है। अपरिचित गांधी जी, एक महान आत्मा से मुलाक़ात, असहमत से सहमति, चुनाव से पहले, ध्यान किधर है, मध्यमवर्गीय ए टी एम, रंग बिरंगे लोग और होली, वोट तुम्हारे करोड़ हमारे जैसे कई चुटीले व्यंग्य इसमें शामिल हैं। रामायण और राजनीति, कालजयी है प्रेमचंद का साहित्य, साहित्य और सिनेमा जैसे कई सामयिक साहित्यिक लेखों के साथ साथ संस्कार, इंद्रजाल जैसी कहानियां न केवल पठनीय और चिंतनीय हैं बल्कि हमे नए दृष्टिकोण से भी परिचित कराती हैं।
सह रचनाकार और साथियों ने डॉक्टर टी महादेव राव के व्यक्तित्व और रचनाधर्मिता पर अपने अपने विचार दिए हैं जिससे डॉ राव के विषय में अच्छी जानकारी तो मिलती ही है विभिन्न परिस्थितियों में भी उनके सकारात्मक पहलू का पता चलता है।
भावनाएं कहने दो, आईना पोंछते रहे, पॉलिटिकल होने लगा, पंख तोल रही है चिड़िया, मित्रों, में मुसलमान तुम हिंदू, बातों के अक्षर, नदी और नारी, आज का महाभारत जैसी कई प्रभावी कविताएं भी इस विशेषांक में हैं। मूल्यांकन, मोहभंग जैसी लघकथाओं का भी अपना अलग प्रभाव है। इन सबसे बढ़कर प्रधान संपादक सुरेशचंद्र रोहरा का लेख डॉक्टर तिरुमरेड्डी महादेव राव अर्थात हिंदी और तेलुगु के आधुनिक हस्ताक्षर तथा अतिथि संपादक रमेश शर्मा का संपादकीय डॉक्टर टी महादेव राव और उनका रचना संसार गागर में सागर की तरह हैं। 54 पृष्ठीय या विशेषांक गांधीश्वर पत्रिका प्रकाशन में एक मील का पत्थर है। संपादक और अतिथि संपादक इस सुंदर संयोजन के लिए बधाई के पात्र हैं।
समीक्षक- नीरव कुमार वर्मा
पत्रिका- गांधीश्वर का डाक्टर तिरुमरेड्डी महादेव राव अंक
मूल्य- दस रुपए
प्रकाशक - कस्तूरबा पब्लिकेशन, मानिकपुर 495678


