उम्मीदों पर खरे नहीं हैं विधायकों के कामकाज
दिल्ली के विधायकों के कामकाज को मूल्यांकन कसौटी पर जब कसा तो पता चला वर्ष 2016 में दिल्ली में विधान सभा सदस्यों का औसत अंक 58.8 प्रतिशत था जो वर्ष 2017 में घटकर 53.4 रह गया
नई दिल्ली। दिल्ली के विधायकों के कामकाज को मूल्यांकन कसौटी पर जब कसा तो पता चला वर्ष 2016 में दिल्ली में विधान सभा सदस्यों का औसत अंक 58.8 प्रतिशत था जो वर्ष 2017 में घटकर 53.4 रह गया।
आपराधिक रिकॉर्ड वाले विधायकों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है। फरवरी 2015 में 70 में से 14 विधायकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी लेकिन दिसंबर 2016 में यह संख्या बढ़कर 39 विधायकों तक पहुंच गई। इसके अलावा वर्ष 2016 के अंत तक 70 में से 25 विधायकों के खिलाफ आरोपपत्र भी दायर किए गए।
यह आकलन करने वाले प्रजा फाउंडेशन के संस्थापक एवं प्रबंध न्यासी निताई मेहता कहते हैं कि मौजूदा जनप्रतिनिधियों के प्रदर्शन को दर्शाने वाले ये आंकड़े चेतावनी के संकेत हैं। जब मौजूदा विधायकों ने शासन का नियंत्रण अपने हाथों में लिया, उस समय जनता बेहद आशान्वित थी और उम्मीद थी कि वे शासन में बदलाव लाएंगे।
लेकिन अब तक के प्रदर्शन को देखते हुए यही कहा जा सकता है कि जनता ने उन्हें जिस उम्मीद के साथ सत्ता सौंपी, वे उन अपेक्षाओं पर खरे उतरते नहीं दिखाई दे रहे हैं।
सूचना के अधिकार के तहत आवेदन पत्रों तथा संस्था की ओर से नियुक्त अनुसंधान के बाद 24 हजार से अधिक नागरिकों के सर्वे के जरिए से रिपोर्ट कार्ड के लिए आंकड़े एकत्रित किए। सभी विधायकों में से आम आदमी पार्टी के 57 विधायकों और भाजपा के दो विधायकों को श्रेणीबद्ध किया गया।
विधायकों की स्वच्छ आपराधिक रिकॉर्ड के पहलू के संदर्भ में सबसे तेज गिरावट देखी गई, क्योंकि वर्ष 2016 में औसत अंक 51.72 प्रतिशत था जो वर्ष 2017 में घटकर केवल 11.53 प्रतिशत रह गया।
विश्लेषण बताता है कि ज्यादातर विधायकों ने बहुत कम सवाल उठाए वर्ष 2017 में लगभग 18 सदस्यों ने पांच या इससे कम मुद्दे उठाए। वर्ष 2017 में सात विधायकों ने एक भी मुद्दा नहीं उठाया।
इसके अलावाए उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों की गुणवत्ता में भी गिरावट देखी गई जो वर्ष 2016 में 39 प्रतिशत से घटकर वर्ष 2017 में 35.8 प्रतिशत रह गई। परियोजना निदेशक, मिलिंद म्हस्के ने कहा कि उठाए गए मुद्दों की गुणवत्ता में कमी का अर्थ यह है कि विधायक ऐसे विषयों से संबंधित काफी कम प्रश्न उठा रहे हैं, जो प्रत्यक्ष तौर पर उनके उत्तरदायित्व के अधीन हैं।
ये आंकड़े इस बात पर भी सवालिया निशान लगाते हैं किए क्या निर्वाचित प्रतिनिधि अपने मूल दायित्वों का निर्वहन करने, अर्थात संबंधित मंच पर सार्वजनिक मुद्दों को उठाने के प्रति गंभीर हैं। रिपोर्ट कार्ड में सबसे अच्छे विधायकों में आप के मोहिंदर गोयल, भावना गौड़, भाजपा के जगदीश प्रधान का नाम है तो सबसे खराब प्रदर्शन वाले नामों में आप के सही राम, ऋतुराज गोविंद व दिनेश मोहानिया हैं।


