ललित सुरजन की कलम से- जनतांत्रिक शक्तियों की विजय
हमारी चुनाव प्रणाली में जिसे सबसे ज्यादा वोट मिले वह जीत जाता है। इसमें वोट प्रतिशत की बात गौण हो जाती है

'हमारी चुनाव प्रणाली में जिसे सबसे ज्यादा वोट मिले वह जीत जाता है। इसमें वोट प्रतिशत की बात गौण हो जाती है। जब जीतने वाली पार्टी का वोट प्रतिशत आधे से कम हो तथा उससे सबक लेकर सारे विपक्षी एकजुट हो जाएं तो यही तत्व अपने आप महत्वपूर्ण हो जाता है।
अतीत में हमने देखा है कि जब-जब गैरकांग्रेसी दल एकजुट हुए हैं कांग्रेस को हार का मुंह देखना पड़ा। इस बार बिहार में भाजपा-विरोधी तीन दल एकजुट हो गए तो समीकरण बदल गए और भाजपा के हिस्से ऐसी शोचनीय पराजय आई।
भाजपा ने महागठबंधन को तोडऩे और कमजोर करने में अपनी ओर से कोई कसर बाकी नहीं रखी। उसने जदयू के दागी नेताओं को टिकट दिए, दलबदल को बढ़ावा दिया, ओवैसी को प्रच्छन्न समर्थन दिया, मुलायम सिंह के साथ भी गुपचुप दोस्ती की लेकिन उसकी कोई भी युक्ति कारगर नहीं हो सकी।'
(देशबन्धु में 09 नवंबर 2015 को प्रकाशित विशेष सम्पादकीय)
https://lalitsurjan.blogspot.com/2015/11/blog-post_8.html


