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ललित सुरजन की कलम से - देशबन्धु के साठ साल-12

'एक समय मैंने नोटिस किया कि पत्रकार गण किसी कार्यक्रम में गए तो उचित सत्कार न होने के कारण बहिष्कार करके लौट आए

ललित सुरजन की कलम से - देशबन्धु के साठ साल-12
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'एक समय मैंने नोटिस किया कि पत्रकार गण किसी कार्यक्रम में गए तो उचित सत्कार न होने के कारण बहिष्कार करके लौट आए। मैंने देशबन्धु में अपने साथियों को हिदायत दी कि यदि आप किसी आयोजन को व्यापक जनहित में मानकर रिपोर्टिंग करने जा रहे हैं तो काम पूरा करके लौटिए। सुविधाओं की चिंता मत कीजिए। अगर पूरे समय खड़े रहकर कवरेज करना है तो वह भी कीजिए।

आखिरकार हम पाठकों के प्रति उत्तरदायी हैं। सुप्रसिद्ध अमेरिकी पत्रकार जेम्स रेस्टन के संस्मरणों से मैंने दो बातें जानी थीं। एक- व्हाइट हाउस की पत्रकार वार्ता में अधिकृत संवाददाता ही सामने बैठते हैं। संयोग से यदि प्रधान संपादक भी आ जाए तो वह पीछे खड़ा होगा। दो- जब पत्रकार अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ दौरे पर जाते हैं तो अखबार उनका अनुमानित यात्रा व्यय राष्ट्रपति भवन को भेज देता है।

मुफ्त की सैर नहीं होती। यह शायद एक कारण है कि अमेरिका में आज भी पत्रकार राष्ट्रपति का विरोध करने का साहस जुटा पाते हैं।'

(देशबन्धु में 26 सितंबर 2019 को प्रकाशित)
https://lalitsurjan.blogspot.com/2019/09/


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