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ललित सुरजन की कलम से- नवसाम्राज्यवाद, विदेश मोह और लेखक

'देश की राजनीति पर गौर करें तो बहुत महीन तरीके से कोशिश चल रही है कि यहां अमेरिकी तर्ज पर राष्ट्रपति शासन प्रणाली लागू कर दी जाए

ललित सुरजन की कलम से- नवसाम्राज्यवाद, विदेश मोह और लेखक
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'देश की राजनीति पर गौर करें तो बहुत महीन तरीके से कोशिश चल रही है कि यहां अमेरिकी तर्ज पर राष्ट्रपति शासन प्रणाली लागू कर दी जाए। कार्पोरेट जगत के लिए यह सुविधाजनक है कि एक आदमी पर दांव लगा दे, बजाय इसके कि बड़ी संख्या में चुने गए संसद सदस्यों के साथ सौदेबाजी करना पड़े।

जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में इस तरह से आए परिवर्तनों के प्रमाण देखे जा सकते हैं- लेकिन जो बात नहीं बदली है वह यह कि नेता, अफसर, व्यापारी का जो गठबंधन पहले होता था वह आज भी कायम है।

पहले यदा-कदा इस तिकड़ी के खिलाफ आवाज् उठाई जा सकती थी, लेकिन आज तो वह भी संभव नहीं है। मीडिया भी उनका है और गुंडे भी उनके। भारत में अगर सबसे सुरक्षित, सबसे अच्छा व्यवसाय कोई है तो वह है गवर्नमेंट सप्लाई का। यह पहले भी था, लेकिन अब इसका अनुपात कई गुना बढ़ चुका है।'

(अक्षर पर्व अगस्त 2013 की प्रस्तावना)

https://lalitsurjan.blogspot.com/2013/08/blog-post_28.html


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