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ललित सुरजन की कलम से- छुईमुई बन गया बरगद का वृक्ष

'देश के नौजवानों में किसी कदर गुस्सा है। उन्हें पढ़ाई-लिखाई के सही अवसर नहीं मिले। उन्हें रोजगार के अवसर भी नहीं मिल रहे हैं। उनका आत्मविश्वास दरक रहा है, उनका स्वाभिमान स्खलित हो रहा है

ललित सुरजन की कलम से- छुईमुई बन गया बरगद का वृक्ष
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'देश के नौजवानों में किसी कदर गुस्सा है। उन्हें पढ़ाई-लिखाई के सही अवसर नहीं मिले। उन्हें रोजगार के अवसर भी नहीं मिल रहे हैं। उनका आत्मविश्वास दरक रहा है, उनका स्वाभिमान स्खलित हो रहा है।

उनकी इस बुझी हुई मानसिकता में उनकी शक्ति का दुरुपयोग वे चालाक शक्तियां कर रही हैं जो देश की राजनीतिक दशा-दिशा का निर्धारण करती हैं। उन्हें यह मुफीद आता है कि आम जनता वर्तमान के प्रश्नों से हटकर अतीत की गलियों में भटकती रहे और गैरजरूरी मसलों पर अपनी शक्ति जाया करती रहे। इस काम के लिए उन्हें फुट सोल्जर्स अर्थात प्यादों की जरूरत होती है। इसके लिए बेरोजगार नौजवानों से बेहतर पात्र और कोई नहीं होता।

उनसे आप नारे लगवा लीजिए, गाली-गलौज करवा लीजिए, पत्थर फेंकवा लीजिए, मारकाट करवा लीजिए। वे खाली बैठे हैं, इनके पास जीवन का कोई मकसद नहीं है। उनकी दमित आकांक्षाओं का क्षरण इन विध्वंसकारी गतिविधियों में होता है तो वही सही।'

(देशबन्धु में 7 दिसंबर 2017 को प्रकाशित)

https://lalitsurjan.blogspot.com/2017/12/blog-post_10.html


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