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ललित सुरजन की कलम से- लोककथाओं की तार्किक व्याख्या

'कैलीफोर्निया के चेरॉकी आदिवासियों को सोने की खोज में निकले गौरांगों ने उनकी धरती से बेदखल कर दिया। सुफैद गुलाब शीर्षक कथा दो सौ या तीन सौ साल से अधिक पुरानी नहीं है

ललित सुरजन की कलम से- लोककथाओं की तार्किक व्याख्या
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'कैलीफोर्निया के चेरॉकी आदिवासियों को सोने की खोज में निकले गौरांगों ने उनकी धरती से बेदखल कर दिया। सुफैद गुलाब शीर्षक कथा दो सौ या तीन सौ साल से अधिक पुरानी नहीं है।

इसमें जब आदिवासी गौरवर्णी स्वर्ण पिपासुओं द्वारा बलपूर्वक खदेड़े जा रहे थे तब वे एक शाम अपने कबीले की देवी का आह्वान करते हैं। देवी उन्हें आश्वस्त करती है कि तुम्हारे कबीले का अंत नहीं होगा। कल एक पौधा उगेगा जिसमें सफेद रंग का गुलाब खिलेगा, जिसके बीच सुनहरे रंग का गुच्छा तुम्हें आताताइयों की हमेशा याद दिलाएगा और उस पौधे के कांटे नुकसान पहुंचाने वाले से तुम्हारी रक्षा करेंगे। यहां लेखक की टिप्पणी पर ध्यान दीजिए-

उस कालखंड में यूरोपीय मूल के लोग जहां भी गए, उन्होंने अपनी पहुंच की धरती को कमोबेश रौंद ही डाला था, स्थानीय संसाधनों पर बलात कब्जेधारियों और लूट खसोट के उस दौर में सामूहिक अप्रवास के लिए विवश कर दी गई स्थानीय आबादियों को नितांत अप्राकृतिक/मानव लोलुपताजन्य कारणों से अपनी जड़ों से उखडऩा पड़ा था।'
(अक्षर पर्व अगस्त 2017 अंक की प्रस्तावना )
https://lalitsurjan.blogspot.com/2017/08/blog-post_23.html


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