ललित सुरजन की कलम से- भविष्य की पत्रकारिता
अंग्रेजी में पुरानी कहावत है कि आपको वही सरकार मिलती है, जिसके योग्य आप हैं। यही बात पत्रकारिता के बारे में कही जा सकती है

'अंग्रेजी में पुरानी कहावत है कि आपको वही सरकार मिलती है, जिसके योग्य आप हैं। यही बात पत्रकारिता के बारे में कही जा सकती है। पत्रकारिता के विकास की दृष्टि से यह जानना महत्वपूर्ण है कि उसकी सामाजिक परिस्थितियां क्या हैं।
यह बहुत कुछ समाज की राजनैतिक रुझान पर भी निर्भर करता है। मोटे तौर पर समाज में पत्रकारिता के प्रति एक आदर का भाव विद्यमान होता है, किंतु अब वहां पत्रकारिता पर सवाल उठने लगे हैं, उसे संशय की दृष्टि से देखा जा रहा है और दूसरी तरफ जिस पत्रकारिता को लोकशिक्षण का अनिवार्य माध्यम सदियों से माना गया है, उससे लोकशिक्षण के बजाय लोकमनोरंजन की भूमिका निभाने की अपेक्षा की जा रही है।
बात साफ है। यदि नागरिकों की दिलचस्पी लोकहित के गंभीर प्रश्नों में नहीं है तो ऐसे में पत्रकारिता का विकास होने के बजाय उसके बीमार पडऩे की आशंका अधिक है। यह तो समाज को ही तय करना होगा कि उसे चमक-दमक, शोशेबाजी, नकली बहसों, चुटकुलेबाजी, अविश्वसनीय समाचारों आदि की आवश्यकता है या अपने समय के प्रश्नों से रूबरू होने की!'
(देशबन्धु में 21 अप्रैल 2016 को प्रकशित)
https://lalitsurjan.blogspot.com/2016/04/blog-post_20.html


