ललित सुरजन की कलम से- भीष्म साहनी: जन्मशती स्मरण
भीष्म साहनी एक व्यक्ति के रूप में जितने सहज और सरल थे, उनकी रचनाएं भी उस सहज-सरल शैली में सामर्थ्य के साथ रची गई हैं

'भीष्म साहनी एक व्यक्ति के रूप में जितने सहज और सरल थे, उनकी रचनाएं भी उस सहज-सरल शैली में सामर्थ्य के साथ रची गई हैं। यदि अतिशयोक्ति के विरुद्ध अल्पोक्ति जैसे किसी विशेषण का इस्तेमाल किया जा सके तो मैं कहना चाहूंगा कि भीष्म साहनी अल्पोक्ति के कलाकार हैं।
अंग्रेजी में एक शब्द है- अंडरस्टेटमेंट। यह विशेषण भीष्मजी की रचना शैली पर बखूबी लागू किया जा सकता है। उनके उपन्यास हों, नाटक हो या तमाम कहानियां, सबमें यही देखने मिलता है कि वे न तो नाटकीय रूप से घटनाओं का सृजन करते हैं और न अपनी ओर से कोई बयानबाजी करते हैं।
वे जिन घटनाओं को अपनी रचनाओं का आधार बनाते हैं वे रोजमर्रा के जीवन में घटित होती हैं और हम सबने उनका कभी न कभी अनुभव किया है। किन्तु मेरी निगाह में उनकी खूबी यह है कि वे अपने पात्रों के माध्यम से उन घटनाओं को एक नए अर्थ से भर देते हैं जबकि ये पात्र भी सामान्य जनजीवन से ही आते हैं।'
(अक्षर पर्व जून 2015 अंक की प्रस्तावना)
https://lalitsurjan.blogspot.com/2015/06/blog-post_12.html


