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ललित सुरजन की कलम से- अटल: संघ के होकर संघ से दूर

संघ के प्रचारक और सिद्धांतकार गोविंदाचार्य ने एक बार वाजपेयी जी को संघ का मुखौटा कहा था

ललित सुरजन की कलम से- अटल: संघ के होकर संघ से दूर
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'संघ के प्रचारक और सिद्धांतकार गोविंदाचार्य ने एक बार वाजपेयी जी को संघ का मुखौटा कहा था। ऐसा उन्होंने किसी योजना के तहत कहा था या अनायास, कहना मुश्किल है, लेकिन श्री वाजपेयी के राजनीति के शीर्ष तक पहुंचने के संदर्भ में यह कथन सच मालूम होता है।

वे संघ के होकर भी संघ से एक दूरी दिखा सके इसी में उनकी सफलता का राज निहित है। वे शायद बहुत पहले जान गए थे कि भारत का लोकमानस मध्यमार्गी है। यहां अतिरेकवादी राजनीति करने से आगे नहीं बढ़ा जा सकता और इसीलिए उन्होंने जाहिरा तौर पर मध्यमार्गी रास्ता अपना कर जनता के बीच अपनी स्वीकार्यता स्थापित की। यह नीति शायद संघ के भी मनमाफिक थी।

उदारवादी वाजपेयी और कट्टरवादी अडवानी- जनता दोनों में से जिसे चाहे पसंद कर ले।'

(देशबन्धु में 23 अगस्त 2018 को प्रकाशित)

https://lalitsurjan.blogspot.com/2018/08/blog-post_22.html


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