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राम मंदिर रथयात्रा से भारत रत्‍न तक, ऐसा रहा लालकृष्ण आडवाणी का राजनीतिक सफर

2015 में देश के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्‍न से सम्मानित करने की जानकारी पीएम नरेंद्र मोदी ने खुद सोशल मीडिया साइट 'एक्स' पर दी

राम मंदिर रथयात्रा से भारत रत्‍न तक, ऐसा रहा लालकृष्ण आडवाणी का राजनीतिक सफर
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नई दिल्ली। 2015 में देश के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्‍न से सम्मानित करने की जानकारी शनिवार को पीएम नरेंद्र मोदी ने खुद सोशल मीडिया साइट 'एक्स' पर दी। लालकृष्ण आडवाणी भारत रत्‍न से सम्मानित होने वाले भाजपा के दूसरे नेता हैं। इससे पहले अटल बिहारी वाजपेयी को यह सम्मान 2015 में ही दिया गया था।

अब तक नरेंद्र मोदी सरकार में 7 लोगों को भारत रत्‍न दिया गया है, जिसमें से 4 लोगों को मरणोपरांत यह सम्मान दिया गया है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नानाजी देशमुख को भी नरेंद्र मोदी सरकार में ही भारत रत्‍न मिला था। हाल ही में भारत रत्‍न सम्मान के लिए पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और जननायक के नाम से मशहूर कर्पूरी ठाकुर के नाम की घोषणा की गई थी, जिनको मरणोपरांत इस सम्मान से सम्मानित किया जाना है। इसके बाद पीएम मोदी ने शनिवार को लालकृष्ण आडवाणी के नाम की घोषणा सोशल मीडिया पर की, जिन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया जाना है।

लालकृष्ण आडवाणी का जन्म 8 नवंबर 1927 को पाकिस्तान के कराची में हुआ था। वह 14 साल की उम्र में ही आरएसएस से जुड़ गए थे। उनका परिवार कराची में ही रहता था और उन्हें संघ की वहां की शाखा का प्रमुख नियुक्त कर दिया गया। फिर भारत-पाकिस्तान बंटवारे के साथ उनका परिवार भी पाकिस्तान से भारत आया और मुंबई में बस गया।

सन् 1951 में वह श्यामा प्रसाद मुखर्जी द्वारा गठित जनसंघ से अपने आप को जोड़ लिया। कुछ साल ही गुजरे थे कि उन्हें पार्टी की दिल्ली इकाई का अध्‍यक्ष बना दिया गया।

1970 में वह पहली बार राज्यसभा पहुंचे, जहां चार कार्यकाल तक उन्होंने अपनी सेवा दी। इंदिरा गांधी के आपातकाल की घोषणा के साथ ही उनकी पार्टी भी जनता पार्टी के साथ जुड़ गई और उसके बाद 1977 में मोरारजी देसाई की सरकार में लालकृष्ण आडवाणी पहली बार सूचना और प्रसारण मंत्री बने।

1980 में भारतीय जनता पार्टी का गठन हुआ तो वह उसके अध्यक्ष बने और उनके नाम पार्टी का सबसे ज्यादा समय तक अध्यक्ष बने रहने का रिकॉर्ड भी है। वह अटल बिहार वाजपेयी की सरकार में गृहमंत्री और उपप्रधानमंत्री तक की भूमिका में रहे।

1990 में आडवाणी हिंदुत्व का चेहरा बनकर उभर रहे थे। इसी साल 25 सितंबर को उन्होंने गुजरात के सोमनाथ से अयोध्‍या में राम मंदिर निर्माण के लिए समर्थन जुटाने के मकसद से रथयात्रा शुरू की। इस रथयात्रा को बिहार के समस्‍तीपुर में रोका गया और आडवाणी गिरफ्तार कर लिए गए। आडवाणी की इस पूरी यात्रा के सारथी नरेंद्र मोदी रहे। आडवाणी की इस रथयात्रा ने दो सांसदों वाली भाजपा को 1991 में 120 सीटें दिली दी थी। इसके साथ ही साल 1991 में पहली बार उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार का गठन हुआ।

सक्रिय राजनीति में 50 साल से ज्यादा समय गुजार चुके आडवाणी के दामन पर एक भी दाग नहीं रहा। 1996 में उनका नाम हवाला कांड में आया भी तो उन्होंने पद छोड़ दिया और ऐलान किया कि जब तक वह इससे बरी नहीं होते, तब तक चुनाव नहीं लड़ेंगे।

1996 में चुनाव के बाद वह इस मामले से बरी भी हो गए। वह देश के इतिहास के सातवें उपप्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में बने थे। लालकृष्ण आडवाणी 6 बार 1991, 1998, 1999, 2004, 2009 और 2014 में लोकसभा और 4 बार राज्यसभा सदस्य रहे।


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