Top
Begin typing your search above and press return to search.

ललित सुरजन की कलम से- नेशनल हेराल्ड का मामला

डॉ. स्वामी भारतीय जनता पार्टी तथा नेहरू-गांधी परिवार के विरोधी चाहे जितना हल्ला मचाते रहें, मेरी चिंता नेशनल हेराल्ड को लेकर दूसरी तरह की है

ललित सुरजन की कलम से- नेशनल हेराल्ड का मामला
X

'डॉ. स्वामी भारतीय जनता पार्टी तथा नेहरू-गांधी परिवार के विरोधी चाहे जितना हल्ला मचाते रहें, मेरी चिंता नेशनल हेराल्ड को लेकर दूसरी तरह की है। मुझे इस बात का बार-बार दुख होता है कि जवाहर लाल नेहरू द्वारा स्थापित अखबार की ऐसी दुर्दशा क्यों कर हुई और यह अपराध किसके माथे है।

पंडित नेहरू ने न सिर्फ इस अखबार को प्रारंभ किया था, वे इसमें लगातार लिखते भी थे। संपादक चलपति राव ने अपने संस्मरणों में लिखा है कि एक सुबह वे किसी गांव में किसानों की सभा में पंडित जी की भाषण की रिपोर्ट पढ़कर चकित रह गए क्योंकि रात को दफ्तर से उनके निकलने तक यह समाचार नहीं आया था।

पूछताछ में पता चला कि देर रात गांव की यात्रा से थके-मांदे पंडित नेहरू दफ्तर आए और उन्होंने स्वयं अपने भाषण की रिपोर्टिंग की। जो अखबार ऐसे ऐतिहासिक और मार्मिक प्रसंग का साक्षी रहा हो, उसका बंद हो जाना सचमुच तकलीफदेह है।'

(देशबन्धु में 24 दिसंबर 2015 को प्रकाशित)

https://lalitsurjan.blogspot.com/2015/12/


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it